सद्भाव के मरहम से सूखा तालाब हो गया जलमग्न Moradabad News
प्रधानमंत्री के मन की बात से मिली प्रेरणा। मुहिम में सभी वर्गों के लोगों ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा
मुरादाबाद,जेएनएन। मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा ने लालपुर गंगवार के डॉ. जावेद अहमद में जल संरक्षण के लिए जुनून भर दिया। जावेद के प्रेरित करने पर गांव के ङ्क्षहदू और मुस्लिमों ने श्रमदान करके सूखे तालाब को भर दिया।
30 जून 2019 को प्रधानमंत्री ने मन की बात में देशवासियों से जल संरक्षण की अपील की थी। इस अपील कुंदरकी विधानसभा के गांव लालपुर गंगवार निवासी डॉ. जावेद अहमद पर विशेष असर पड़ा। उन्होंने गांव के मंदिर के पुजारी तूफान सिंह और मस्जिद के इमाम जुल्फिकार हुसैन के साथ मिलकर पानी बचाओ दल बनाया। पानी बचाव दल ने गांव की युवाओं के साथ मिलकर घर-घर जाकर जल के महत्व को बताया। मस्जिद और मंदिर से भी जल संरक्षण की अपील की गई। दल ने ग्रामीण युवाओं के साथ मिलकर पानी को संरक्षित करने के लिए गांव के दक्षिण में 20 साल से सूखे पड़े जय सिंह वाले तालाब को भरने का दृढ़ संकल्प ले लिया। इसके लिए ग्राम वासियों ने संयुक्त प्रयास करके गांव में बर्बाद हो रहे पानी को नालियां बनाकर तालाब से जोड़ दिया। इसका उपयोग पशु पक्षियों के लिए किया जाने लगा।
जल संरक्षण के प्रति जगाते रहना है, जिनकी पहचान
पानी के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है। दिनों-दिनों धरती पर कम होते पेयजल से वैश्विक चिंता बढ़ाई तो कुछ इस चिंता को दूर करने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। ऐसा की कुछ प्रयास कर रही है बेसिक स्कूल की शिक्षिका ज्योति शर्मा। वे जल संरक्षण के प्रति लगातार जागरूकता अभियान चलाती हैं। अपने घर पर जल संरक्षण के सभी उपाय करती हैं। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता स्कूलों में सरकारी निर्देश मिलने पर ही कराई जाती है, लेकिन वह इसे दिनचर्या में शामिल कर चुकी हैं। प्राथमिक गिंदौड़ा प्रथम में तैनात हैं, कोई भी मौसम हो प्रत्येक पखवाड़े बच्चों के साथ गांव में रैली निकालकर जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करती हैं। राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी, 15 अगस्त व अन्य दिवस पर भी जल संरक्षण के प्रति जागरूकता वाली कार्यक्रम कराती हैं। रास्ते में जहां भी टंकी खुली देखती हैं, रुककर उसे बंद करती हैं। स्कूल के बच्चों और अपने आस-पास के लोगों को यही सीख देती हैं। ग्रामीणों के साथ जल संरक्षण पर नियमित रूप से बैठक करती हैं। उन्होंने बताया कि घर पर आरओ निकले पानी को बहाने के बजाय उसका प्रयोग बर्तन धोने में करती हैं। बर्तन और कपड़े धोने से इकट्ठा होने वाली पानी को घर में लगाए गए गमलों में डालती हैं।