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तेरह हजार लोगों की जांच, तीन सौ मलेरिया से पीड़ित मिले

मुरादाबाद : मौसम बदलने के साथ ही जिले में मलेरिया ने भी दस्तक दे दी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 02:20 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 02:20 PM (IST)
तेरह हजार लोगों की जांच, तीन सौ मलेरिया से पीड़ित मिले
तेरह हजार लोगों की जांच, तीन सौ मलेरिया से पीड़ित मिले

मुरादाबाद : मौसम बदलने के साथ ही जिले के 584 गांव बुखार की चपेट में आ गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने 13 हजार लोगों के खून की स्लाइड बनवाई तो उनमें तीन सौ लोग मलेरिया से पीड़ित मिले। हालात ये हैं कि मूंढापांडे, बिलारी, कुंदरकी और उससे जुड़े गांवों में बुखार से लोग परेशान हैं। विभाग के दावों की निकली हवा विभाग जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है, लेकिन हालात बद से बदतर हैं। सामुदायिक-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बुखार का इलाज नहीं हो पा रहा है। पैरासीटामॉल टेबलेट बाजार से लिखी जा रही है। हालात ये हैं कि बुखार दूर करने के लिए चंद गांव में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई है। अप्रैल से अक्टूबर तक 13 हजार लोगों के खून की स्लाइड बनवाई गई। इनमें मलेरिया से पीड़ित तीन सौ लोगों को दवा तो दे दी गई है लेकिन जिले के सभी गांव में स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्था नहीं बनाई है। इसकी वजह से लोग झोलाछाप और निजी डॉक्टरों के यहां इलाज कराने को मजबूर हैं। गांवों में कराएंगे जांच : नोडल अधिकारी गांवों में स्वास्थ्य शिविर भी लगवाए गए हैं और स्लाइड भी निरंतर बन रहीं है। जिन मरीजों में मलेरिया घोषित हुआ है। उनका इलाज भी कराया गया है। लापरवाही नहीं बरती गई है। बाकी बिलारी, कुंदरकी और मूंढापांडे के गांव में भी चेकिंग कराएंगे।

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डॉ. रनवीर सिंह, नोडल अधिकारी स्वास्थ्य विभाग कागजों में हो रहा एंटी लार्वा का छिड़काव जिले में बुखार के प्रकोप की वजह से लोग बेहाल हैं। निजी क्लीनिक में मरीजों की भीड़ लगी है। खून की जांच में मलेरिया के मामले भी सामने आ रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग लैब की रिपोर्ट के बिना मलेरिया घोषित नहीं करने का निर्देश दिया गया है। एंटी लार्वा छिड़काव का आलम ये है कि कर्मचारी हाजिरी लगाने के बाद झांकने तक नही जा रहे है। मलेरिया विभाग के अरबन क्षेत्र में 65 कर्मचारी तैनात हैं। एक टीम में दो सदस्य हैं। शहर को तीन भाग और 10 सेक्टर में बांट रखा है। कर्मचारियों की डयूटी सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक है, लेकिन कर्मचारी दोपहर दो बजे हाजिरी लगाने के बाद गायब हो जाते हैं। कई बार मलेरिया इंस्पेक्टर वकुल कुमार क्षेत्र में चेकिंग के लिए पहुंचे तो वहां कर्मचारी नहीं मिले। एंटी लार्वा का छिड़काव करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि शहर में एंटी लार्वा का छिड़काव ढंग से हो जाए तो मच्छरों का प्रकोप कम हो जाएगा। आपको ये भी बता दें कि क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति का नाम लिखकर खानापूर्ति की जा रही है। मलेरिया विभाग के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ. दिनेश कुमार प्रेमी ने बताया कि कर्मचारियों को मौके पर जाकर देखा जाएगा। कर्मचारी के नहीं मिलने पर उसका वेतन काटा जाएगा। तीन सौ लोगों में मलेरिया पॉजिटिव

अव्यवस्था मौसम बदलने के साथ ही जिले के 584 गांव में बुखार का प्रकोप फैला हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने 13 हजार लोगों के खून की स्लाइड बनवाई तो उनमें तीन सौ लोग मलेरिया पीड़ित निकले थे। हालात ये हैं कि मूंढापांडे, बिलारी, कुंदरकी और उससे जुड़े गांव में बुखार के प्रकोप की वजह से लोग परेशान हैं। सामुदायिक-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बुखार का इलाज नहीं हो पा रहा है। पैरासीटामॉल टेबलेट बाजार से लिखी जा रही है। हालात ये हैं कि बुखार दूर करने के लिए चंद गांव में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई है। अप्रैल से अक्टूबर तक 13 हजार लोगों के खून की स्लाइड बनवाई गई तो उसमें 300 को मलेरिया घोषित हुआ। फिलहाल उन्हें दवा तो दे दी गई है। उनके स्वास्थ्य में भी सुधार है, लेकिन जिले के सभी गांव में स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्था नहीं बनाई है। झोलाछाप और निजी डॉक्टरों के यहां इलाज कराने को मजबूर हैं। ये बोले नोडल अधिकारी गांवों में स्वास्थ्य शिविर भी लगवाए गए हैं और स्लाइड भी निरंतर बन रहीं है। जिन मरीजों में मलेरिया घोषित हुआ है। उनका इलाज भी कराया गया है। लापरवाही नहीं बरती गई है। बाकी बिलारी, कुंदरकी और मूंढापांडे के गांव में भी चेकिंग कराएंगे।

डॉ. रनवीर सिंह, नोडल अधिकारी स्वास्थ्य विभाग


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