साइबर ठगों ने दारोगा को बनाया शिकार, खाते से उड़ाए 50 हजार
साइबर ठगों ने यूपी पुलिस के आरएसआइ (रेडियो सब इंस्पेक्टर) को भी अपना शिकार बना लिया।
मुरादाबाद । साइबर ठगों ने यूपी पुलिस के आरएसआइ (रेडियो सब इंस्पेक्टर) को भी अपना शिकार बना लिया। बैंक का मैनेजर बनकर आरएसआइ से एटीएम नंबर और पिन की जानकारी ली। उसके बाद पांच किश्तों में 50 हजार की रकम निकाल ली। रकम पेटीएम और ई-वायलेट में ट्रांसफर की गई है। दारोगा की इंजीनियर बेटी ने एसएसपी के समक्ष पेश होकर पूरे मामले की जानकारी दी। एसएसपी ने मामले की जांच साइबर सेल को सौंप दी है।
यह है पूरा मामला
मूलरूप से बिजनौर के रहने वाले राजीव चौहान मझोला के बुद्धि विहार में परिवार के साथ रहते हैं। उनकी बेटी स्वथा चौहान कॉल कॉम हैदराबाद में सीनियर इंजीनियर है। स्वथा ने बताया कि सात जनवरी को राजीव चौहान के मोबाइल पर कॉल आई, उस समय वे घर पर मौजूद थे। कॉलर ने खुद को बैंक मैनेजर बताकर एटीएम की पूरी जानकारी मांगी। एटीएम बदलने की बात कहकर एटीएम नंबर और पिन भी पता कर लिया। उसके बाद लगातार पांच किश्तों में खाते से 50 हजार की रकम निकाल ली गई। यह रकम पेटीएम और ई-वायलेट में डाली गई। राजीव चौहान ने तभी यूपी-100 पर कॉल कर अपने साथ हुई ठगी की जानकारी दी। पीआरवी ने मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली। साथ ही राजीव चौहान से एक तहरीर भी ले गए, जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सोमवार को राजीव की बेटी स्वथा ने एसएसपी के समक्ष पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी दी। एसएसपी जे रविन्दर गौड ने पीडि़ता की शिकायत पर साइबर सैल को मामले की जांच दी। साथ ही रकम रिकवर कराने के आदेश दिए।
ऐसे कर रहे ठगी
एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर, बैंक खाते, एटीएम अथवा क्रेडिट कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने के बहाने लेते हैं जानकारी। केवाईसी अपडेट कराने का झांसा देकर डेबिट या क्रेडिट कार्ड के नवीनीकरण का झांसा देते हैं। फेसबुक पर दोस्ती कर विदेश से गिफ्ट भेजने के नाम पर, बीमा पॉलिसी रिन्यू करने या रिफंड देने का झांसा देकर, लकी ड्रॉ में कार या नकद रुपये जीतने का झांसा देकर, ऑनलाइन सस्ते मोबाइल फोन या अन्य उत्पाद बेचने के नाम पर।
ये बरतें सावधानी
ग्राहक एसएमएस अर्लट जरूर कराएं। पिनकोड व पासवर्ड की जानकारी गुप्त रखें। मोबाइल में बैंक खाता संख्या व पासवर्ड न रखें। बैंक संबंधी गुप्त जानकारी मोबाइल व कंप्यूटर में न रखें। संबंधित बैंक के शाखा प्रबंधक, मुख्य लिपिक का फोन नंबर जरूर रखें। लाटरी व इनाम के फोन पर पहले असलियत परखें। ठगी व ब्लैकमेलिंग पर हिचकिचाहट छोड़ परिजनों को जरूर बताएं।