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आरटीई में पढ़ाई का उधार चुकाने के लिए मिले 4.50 करोड़

प्रदेश सरकर ने पिछले तीन सालों में आरटीई में प्रवेश पाने वाले सभी बच्चों की फीस यूनिफार्म व किताब की मद के 4.50 करोड़ रुपये आवंटित कर दिये हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 08:05 AM (IST)
आरटीई में पढ़ाई का उधार चुकाने के लिए मिले 4.50 करोड़
आरटीई में पढ़ाई का उधार चुकाने के लिए मिले 4.50 करोड़

मुरादाबाद। शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत उधार में पढ़ रहे गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल संचालकों की जिल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी। प्रदेश सरकर ने पिछले तीन सालों में आरटीई में प्रवेश पाने वाले सभी बच्चों की फीस, यूनिफार्म व किताब की मद के 4.50 करोड़ रुपये आवंटित कर दिये हैं। प्रत्येक अभिभावक के खाते में पाच हजार रुपये यूनिफार्म व किताब खर्च तथा स्कूल के खाते में प्रतिमाह के हिसाब से 400 रुपये उधार की फीस चुकाई जाएगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने ऐसे अभिभावक व स्कूल जिनके खाते अपडेट नहीं हैं वह बेसिक शिक्षा कार्यालय में खाता संख्या देकर अपडेट कराने को कहा है। जिससे ऑनलाइन पैसा सीधा खाते में हस्तातरित हो सके। आगामी सत्र में जो प्रवेश होंगे उनका पैसा अभी शासन ने नहीं भेजा है। केवल तीन साल से पढ़ते आ रहे पुराने बच्चों की पढ़ाई का उधार चुकता करने को धनराशि आई है। इस बार जो नए प्रवेश होंगे उनके अभिभावकों को अपने ही खर्च से किताबें व यूनिफार्म खरीदनी होंगी। बाद में शासन से पैसा आने पर इनके भी खाते में हस्तातरित किया जाएगा। फीस न मिलने से प्रवेश में आनाकानी

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फीस नहीं मिलने से पब्लिक स्कूल प्रवेश को लेकर आनाकानी करते हैं। सीट फुल होना बताकर टरका देते हैं। अभिभावक परेशान होकर बीएसए कार्यालय के चक्कर काटते हैं। जबकि 25 फीसद प्रवेश प्रत्येक पब्लिक स्कूलों को लेना अनिवार्य है। अगर इन्कार करते हैं तो शिक्षा का अधिकार कानून में किए गए प्रावधान के तहत कार्रवाई हो सकती है। जब से आरटीई कानून लागू हुआ है तमाम स्कूलों ने प्रवेश से इन्कार किया मगर कार्रवाई आज तक नहीं हुई। अब 4.50 करोड़ रुपये आने से उम्मीद है कि प्रवेश लेने में रुचि दिखाएंगे। खाते अपडेट करा लें

अभिभावक व स्कूल अपने खाते बेसिक शिक्षा कार्यलय में अपडेट करा लें, जिससे शासन से मिला पैसा उनके खाते में हस्तातरित किया जा सके। जिनके खाते अपडेट नहीं होंगे वे अभिभावक व स्कूल स्वयं जिम्मेदार होंगे।

-योगेंद्र कुमार, बीएसए।


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