जैविक खेती का संदेश देने के लिए साइकिल से 21,962 किमी तक का सफर, जज्बा कर देगा हैरान
Awareness towards organic farming नीरज ने बताया कि 21962 किमी की दूरी तय करके बुधवार को वह तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी पहुंचे। उन्होंने बताया कि रासायनिक खेती के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। अब लोगों को जैविक खेती के प्रति जागरूक होना होगा।
मुरादाबाद, जेएनएन। Awareness towards organic farming। फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगातार रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति तो नष्ट हो ही रही है साथ ही स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। हरियाणा के एक युवक ने इस समस्या को दिल से महसूस किया है। यही वजह है कि वे साइकिल से ही जैविक खेती का संदेश देने के लिए निकल पड़े हैं। अब तक वह 21,962 किमी का सफर भी कर चुके हैं।
हरियाणा के नीरज प्रजापति रासायनिक खेती को जहर उगाने जैसा मानते हैं। हर साल देश में लाखों मौत रासायनिक पैदावार का प्रयोग करने से होती है। इसीलिए वह जैविक खेती की पैरोकारी करने निकले हैंं। द बाइसिकल मैन ऑफ इंडियन एग्रीकल्चर के नाम से पहचाने जाने वाले धरतीपुत्र जैविक खेती की अलख जगाने को गांव-गांव घूमने निकल पड़े हैं। नीरज ने बताया कि 21,962 किमी की दूरी तय करके बुधवार को वह तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज का दौरा किया, जहां निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह ने तुलसी का पौधा भेंट करके स्वागत किया। उन्होंने कॉलेज में मॉडर्न लैब को भी देखा। इसके बाद जैविक खेती के इस बड़े पैरोकार का अगला पड़ाव यूनिवर्सिटी की सहफसली खेती को देखना और समझना रहा। प्रोफेसर डॉ. बलराज सिंह ने इंटरक्रॉपिंग की फार्मिंग को गहनता से समझाया। जागरूकता के लिए वे साइकिल पर निकल पड़े हैं। अब वे एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज के संग-संग कृषि वैज्ञानिक और धरतीपुत्रों से जैविक खेती को लेकर संवाद करते हैं। नई-नई जानकारी जुटाकर सभी के साथ साझा करते हैं। कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर साइंसेज में डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. देवेंद्रपाल सिंह, डॉ. आशुतोष अवस्थी, विशेष सिंह आदि उ उनका स्वागत किया। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का भ्रमण करने के बाद वह मेरठ के लिए रवाना हो गए।