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रामगंगा को कर रहे प्रदूषित मुरादाबाद के 121 नाले

मुरादाबाद के 121 नाले रामगंगा का दम घोंट रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 12:10 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 12:10 PM (IST)
रामगंगा को कर रहे प्रदूषित मुरादाबाद के 121 नाले
रामगंगा को कर रहे प्रदूषित मुरादाबाद के 121 नाले

मुरादाबाद (मेहंदी अशरफी)। रामगंगा का दम 121 नाले घोंट रहे हैं। महानगर के 23 बड़े और 99 छोटे नालों का गंदा पानी रामगंगा नदी में गिर रहा है। पानी प्रदूषित होने से जीव-जंतुओं की मौत का कारण बन रहा है। एनजीटी के आदेश के बावजूद अफसरों ने कोई प्रयास इसमें सुधार के लिए नहीं किये हैं। खानापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं हो रहा है। एसटीपी बनकर तैयार है। एक वर्ष बीतने के बावजूद अभी तक चालू नहीं हो सकी है। जल निगम की टेस्टिंग पूरी नहीं हो पाई है।

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रामगंगा किनारे बसी आबादी के चक्कर की मिलक, बगला गांव, नवाबपुरा, लालबाग, जामा मस्जिद, बरवालान, कटघर आदि के कारखानों का केमिकल वाला पानी छोटी नालियों से होता हुआ बड़े नालों से रामगंगा में पहुंच रहा है। इसमें ई-कचरा, पीतल की सिल्ली की राख आदि भी पानी के जरिए नदी में पहुंच रहा है।

सिर्फ एक नाले के पानी का हो रहा ट्रीटमेंट महानगर में सीवर लाइन निर्माण का कार्य जल निगम कर रहा है। 264 सीवर में 80 किलोमीटर का निर्माण बाकी है। नेशनल हाईवे, रेलवे कालोनी, पीलीकोठी से फव्वारा, फव्वारा से जैन मंदिर, जैन मंदिर से गंज गुरहट्टी चौराहा, गुरहट्टी से नीम की प्याऊ और कोतवाली टाउन हाल, चौमुखापुल आदि क्षेत्रों में सीवर लाइन नहीं डली है। सिर्फ 15 मिलियन पानी का ही ट्रीटमेंट

जल निगम ने प्रदूषित पानी को ट्रीट करने के लिए गुलाबबाड़ी में 58 मिलियन की क्षमता का प्लांट तैयार हो गया है। शहर से तकरीबन 40 मिलियन प्रदूषित पानी प्रतिदिन निकलता है। सीवर लाइन नहीं बनने की वजह से फिलहाल 15 मिलियन प्रदूषित पानी ही ट्रीट करके रामगंगा में डाला जा रहा है। ये पानी सिर्फ कटघर के नाले की ही है जबकि कांठ रोड पर विवेकानंद अस्पताल से एमआइटी तक पांच बड़े नाले हैं।

प्रदूषित पानी का सब्जियों पर सबसे ज्यादा असर

जीव-जंतुओं के साथ प्रदूषित पानी का असर सब्जियों पर सबसे अधिक पड़ रहा है। गोभी, पालक, भिंडी पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। इस वजह से बीमारियां बढ़ रही हैं।

रामगंगा में गाय-भैंस के नहलाने से बढ़े त्वचा के रोग

मुरादाबाद : रामगंगा में प्रदूषित पानी का असर उन जानवरों पर भी पड़ रहा है जिनका दूध इस्तेमाल होता है। प्रदूषित पानी में नहलाने और पानी पीने से बैक्टीरिया उनके शरीर में पहुंच जाते हैं। इसके अलावा गाय-भैंस चराने वाला भी उसी पानी में रहता है तो वह भी त्वचा के रोग का शिकार होता है और वो बीमारी अपने परिवार में भी बांट देता है। प्रदूषित पानी से ये हो रहीं बीमारियां

वायरस से पीलिया, पोलियो, जुकाम, चेचक, जीवाणुओं से डायरिया, दस्त, मियादी बुखार, तेज बुखार, हैजा, काली खांसी, सुजाक, पेचिश, प्रोटोजोआ से मसूढ़ों में पायरिया, पेचिश, मलेरिया, कीड़ों से फाइलेरिया, हाईडेटिडसिस्ट और कृमि रोग आदि, शरीर में रोग पैदा करने वाले विभिन्न जीवाणुओं के अलावा विषाक्त पदार्थ जल के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं। इन विषाक्त पदार्थो में मुख्य रूप से कैडमियम, सीसा, निकल, चांदी, आर्सेनिक से शरीर को नुकसान पहुंचता है। मैग्नीशियम से आंतों की बीमारी

जल में मैग्नीशियम सल्फेट की अधिकता से आंतों की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। इसका बच्चों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। बच्चों की सेहत कमजोर रहने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। इससे बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार होने लगते हैं। ¨हदू कालेज की एसोसिएट प्रोफेसर अनामिका त्रिपाठी कहती हैं कि ग्राउंड लेबल में पहुंचने पर पीएच लेबल बढ़ने से बैक्टीरियल वायरस बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसके बाद जलीय जीव-जंतु पर इसका असर पड़ता है। इसमें पलने वाली मछली, पौधे और सब्जियां भी प्रभावित होती हैं। इसके लिए प्रभावी अभियान चलना चाहिए।

¨हदू कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर जेके पाठक कहते हैं कि रामगंगा के प्रदूषित होने पर तीन तरह से पर्यावरण पर असर पर पड़ता है। जलीय पर्यावरण, जलीय जीव-जंतु और डायरेक्ट मानव शरीर पर पड़ता है। धीरे-धीरे शरीर में एकत्र होने के बाद ये मेटाबॉलिक एक्टिविटी में बदल जाते हैं और इसके बाद बीमारी शुरू हो जाती है।

ये बोले जल निगम के परियोजना प्रबंधक महेंद्र कुमार- सीवर लाइन का कार्य तेजी के साथ कराया जा रहा है। दिसंबर तक का समय दिया गया है। हमारा प्रयास रहेगा कि इससे पहले सीवर लाइन का काम पूरा कर लें।

क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आरके सिंह कहते हैं कि जल निगम की जिम्मेदारी है कि एसटीपी को चालू कराए, ताकि रामगंगा में नालों का पानी सीधा न गिरे। समय-समय पर आदेशों का अनुपालन कराया जाता है। एनजीटी के आदेशों के अनुपालन की प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड के पास कोई धनराशि नहीं है, जिससे कोई काम कराया जा सके।


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