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मुरादाबाद में बसता है 10 टायरा ट्रकों का शहर

मुरादाबाद सम्भल हाईवे पर बसा डींगरपुर दस टायरा ट्रक के लिए चर्चित है। यहां के अधिकांश परिवार ट्रांसपोर्ट के धंधे से जुड़े हुए हैं। देश भर में डींगरपुर की ट्रकों के लिए ही पहचान है।

By Edited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 11:29 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 12:06 PM (IST)
मुरादाबाद में बसता है 10 टायरा ट्रकों का शहर
मुरादाबाद में बसता है 10 टायरा ट्रकों का शहर

मुरादाबाद [मोहसिन पाशा ] । उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित सम्भल रोड का डींगरपुर क्षेत्र कहने को तो गाव है, लेकिन यहा पूरा शहर बसता है। इंसानों के साथ ट्रकों का भी। ट्रक भी कोई साधारण वाले नहीं, 10 टायरा। करीब चार हजार ट्रकों ने यहा की साढ़े तीन लाख की आबादी की जिंदगी संभाल रखी है। एक ट्रक पर दो चालक, दो हेल्पर और 14 लेबर होते हैं।

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इससे 72 हजार लोगों को सीधे रोजगार मिल रहा है। 28 साल में इस क्षेत्र ने इतना विकास किया कि आज यहा कोई भी घर कच्चा नहीं है। इमारतें बन गई हैं। लोगों के रहन-सहन का ढंग भी बदल गया है। यहा के ज्यादातर लोग आत्मनिर्भर हैं। इन्हीं ट्रकों ने देशभर में इस इलाके की ट्रासपोर्ट के क्षेत्र में पहचान बनाई है। करोड़ों रुपये का टर्न ओवर है। क्षेत्र के ताहरपुर गाव के एक ट्रक ड्राइवर के पास 10 साल पहले रहने को ठीक से घर भी नहीं था, लेकिन आज वह एक दर्जन से अधिक ट्रकों का मालिक है। इसी तरह डींगरपुर गाव में एक ऐसा परिवार है, जिसके पास पेट्रोल पंप, टायर की एजेंसी के अलावा 70 से ज्यादा ट्रक हैं।

दो बुजुगरें ने रखी थी कारोबार की नींव 1990 में फरियाद मुल्ला जी और हाजी इस्लाम ने इस कारोबार की बुनियाद रखी थी। इसके बाद यह कारोबार इलाके में बढ़ता ही गया। 2006 से इस कारोबार में बढ़ोतरी होनी शुरू हुई। इसके बाद से यह कारोबार चरम पर है। देश के हर कोने में यहा की भूसे की गाडिय़ों की अलग की पहचान है।

अकेले ताहरपुर में हैं सात सौ ट्रक मुरादाबाद से सम्भल जाने पर जटपुरा गाव के आगे सड़क किनारे 10 टायरा ट्रक खड़े नजर आने लगेंगे। इसी रोड पर स्थित ताहरपुर गाव में 700 से ज्यादा ट्रक हैं। इसके अलावा अस्तपुर, ललवारा, फत्तेहपुर खास, लालपुर गंगवारी, भीकनपुर, नानकार, पंडित नगला, मैनाठेर, हिसामपुर, मिलक, गुरेर, सैफपुर, जलालपुर, पीतपुर, हाथीपुर, डोमघर आदि गाव में सैकड़ों की संख्या में ट्रक मालिक हैं।  

आसमान छू रहे हैं जमीन के दाम दस टायरा ट्रकों की संख्या अधिक होने की वजह से सम्भल से भी तमाम मैकेनिकों ने डींगरपुर आकर अपना रोजगार खोल लिया है। करीब 150 दुकानें ट्रक मरम्मत की हैं। हर दुकान पर कम से कम पाच लोग होते हैं। गाड़ी के पार्ट्स, बॉडी मेकर और अन्य काम भी यहीं होते हैं। कुल मिलाकर पाच हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार इससे मिल रहा है। बाहर के मैकेनिक आने से यहा जमीन महंगी हो गई है। सड़क किनारे की जमीन 20 हजार रुपये गज से भी ज्याद रेट पर है।

 खुल गए कई कावेंट स्कूल डींगरपुर क्षेत्र में पिछले 10 साल में कई कावेंट स्कूल खुल गए। ड्राइवर और हेल्पर भी ट्रक मालिक बनने के बाद अपने बच्चों को स्कूल भेजने में सबसे आगे हैं। कई ऐसे परिवारों के बच्चे तो शहर के नामी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।

आइपीएस के पिता भी ट्रकों के मालिक नानकार गाव में रहने वाले आइपीएस अफसर वसीम अकरम के पिता भी कई ट्रकों के मालिक हैं। वसीम का एक भाई कुछ दिनों पहले तक ट्रक चलाता था।


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