रोजगार बंद हुआ तो युवाओं ने शुरू किया अब स्वरोजगार
लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा परेशानी व समस्या उनको हुई जो रोजाना काम करते थे और घर का खर्च चलता था। ऐसे ही कई युवा जो दुकानों पर काम करके जीवनयापन करते थे लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई। अब दुकानें खुलने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है। इनमें से कुछ युवाओं ने स्वरोजगार अपनाया और लॉकडाउन में ही कामयाबी का स्वाद चख लिया।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा परेशानी व समस्या उनको हुई जो रोजाना काम करते थे और घर का खर्च चलता था। ऐसे ही कई युवा जो दुकानों पर काम करके जीवनयापन करते थे, लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई। अब दुकानें खुलने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है। इनमें से कुछ युवाओं ने स्वरोजगार अपनाया और लॉकडाउन में ही कामयाबी का स्वाद चख लिया।
मझवां ब्लाक के जमुआं निवासी बाबू गुप्ता पुत्र लालू गुप्ता व भाई अंकित गुप्ता ने लॉकडाउन की समस्या को अवसर में बदलने का काम किया। उनकी तरह ही अन्य युवक युवक दिनेश, अभिषेक, आजम, सुरेश, संजय सहित दर्जनभर युवा किसी न किसी दुकान पर काम करते थे लेकिन जब बंदी हुई तो इन्होंने सब्जियों सहित आवश्यक सामानों की डोर टू डोर सप्लाई शुरू कर दिया। युवा बाबू गुप्ता ने बताया कि उसने पुराने ठेले को ठीक किया और उसी पर सामान रखकर गांव-गांव बेचने लगा। वह सामान के साथ ही मास्क व सैनिटाइजर भी लेकर चलता और जो भी सामान लेता उसे सैनिटाइज करने के बाद ही देता था। ऐसा देख लोगों में इन युवाओें के प्रति विश्वास बढ़ता गया और उनकी दुकानदारी चल निकली। सही कीमत में सब्जियां बेचने की वजह से लोगों ने उनसे सब्जी खरीदनी शुरू कर दी। अब अनलॉक-एक शुरू हो गया है लेकिन इनका व्यापार जम चुका है जिसे और बढ़ाने के प्रयास इन युवाओं द्वारा किए जा रहे हैं।
शुरू करेंगे नया स्टार्टअप
युवा उद्यमी बाबू गुप्ता की मानें तो वह अब रुकने वाला नहीं है। सब्जियों की बिक्री के दौरान उसे कई सुझाव भी मिले। इसमें आर्गेनिक सब्जियां बेचने का विचार उसे पसंद आया है। बाबू ने बताया कि वह जल्द ही बैंक से ऋण लेकर अपना स्टार्टअप शुरू करेंगे। इसके माध्यम से वे स्थानीय किसानों से आर्गेनिक सब्जी का उत्पादन कराने से लेकर उसके भंडारण की उच्चीकृत व्यवस्था शामिल है। इतना ही नहीं इन सब्जियों की आनलाइन बिक्री व डोर-टू-डोर डिलीवरी करने की भी योजना बनाई है।