मन की पीड़ा सुन पाओगे, गीत सुनाऊं क्या..
-काव्य गोष्ठी में रचनाकारों ने बांधा समांश्रोताओं से लूटी वाहवाही -चुनार के बालूघाट स्थित
-काव्य गोष्ठी में रचनाकारों ने बांधा समां,श्रोताओं से लूटी वाहवाही
-चुनार के बालूघाट स्थित पुस्तकालय में आयोजित हुआ कार्यक्रम जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : चुनार के प्रख्यात व्यंग्यकार व हास्य कवि कमलेश्वर प्रसाद कमल द्वारा रचित पुस्तक गा लो मुस्कुरा लो का विमोचन रविवार को बालूघाट स्थित उग्र पुस्तकालय में मुख्य अतिथि व चेयरमैन मंसूर अहमद, मेजर कृपाशंकर सिंह, डा. रामदुलार सिंह पराया व शिव प्रसाद कमल ने किया। उपस्थित रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से माहौल को साहित्यक बना दिया। वक्ताओं ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए इसमें संग्रहित की गई गजलों, गीतों और हास्य व्यंग्यों की सराहना करते हुए कहा कि इसमें सामाजिक सरोकार भी हैं तो व्यवस्था पर चोट करते व्यंग्य भी शामिल हैं। पुस्तक के लेखक कमलेश्वर प्रसाद कमल ने कहा कि पुस्तक मुंबई के अफरोज आलम एवं काजल सिंह के सौजन्य से मुंबई साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित की गई है।
इस अवसर काव्य पाठ करते हुए अनवर अली अनवर ने सुनाया- मन की पीड़ा सुन पाओंगे, गीत सुनाऊं क्या, इस पत्थर की बस्ती में गीत सुनाऊं क्या..। अमित आनंद ने किसानों की पीड़ा को अपनी रचना में प्रस्तुत किया- बंजर खेत जोत कर किस्मत बोता रहा किसान, दुर्दिन देख देख कर अपने, रोता रहा किसान..। रमेश पांडेय ने सुनाया- भइन नैना चार अंडा बड़ा हो गइली..। सुरेश पांडेय मंजुल ने सुनाया- नए वर्ष का नया गीत है, कहीं हार है कहीं जीत है, नई कहानी प्रीत पुरानी, सुर बदला है गीत वहीं है..। इसके अलावा अन्य रचनाकारों ने भी अपनी रचनाओं से समा बांध दिया। इस अवसर पर जवाहर सिंह, बी प्रसाद, नयन वर्मा, गणेश पांडेय, सभासद राजेश कुमार, भोलानाथ वर्मा आदि थे।