स्वावलंबन की राह दिखा बुन रहीं हैं गृहस्थी का ताना-बाना
मन में कुछ अच्छा करने की ठान लें व उस पर निरंतर चलते रहें तो मंजिल अपने आप मिल जाती है। यही वह मूलमंत्र है जिनके माध्यम से गांव की गरीब व जरुरतमंद युवतियों का आत्मविश्वास बढ़ाया जाता है। कछवां की रहने वाली अंजू डेविड ऐसी ही महिला हैं जिन्होंने सैकड़ों गरीब लड़कियों की जिदगी में सकारात्मक बदलाव की पहल की है। हर वर्ष समर कैंप में 50 से ज्यादा युवतियों को नए-नए हुनर सीखाकर वे उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं।
मनोज द्विवेदी, मीरजापुर :
मन में कुछ अच्छा करने की ठान लें व उस पर निरंतर चलते रहें तो मंजिल अपने आप मिल जाती है। यही वह मूलमंत्र है जिनके माध्यम से गांव की गरीब व जरूरतमंद युवतियों का आत्मविश्वास बढ़ाया जाता है। कछवां की रहने वाली अंजू डेविड ऐसी ही महिला हैं जिन्होंने सैकड़ों गरीब लड़कियों की जिदगी में सकारात्मक बदलाव की पहल की है। हर वर्ष समर कैंप में 50 से ज्यादा युवतियों को नए-नए हुनर सीखाकर वे उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं।
कछवां बाजार में रहने वाली महिला समाजसेवी अंजू डेविड व पति विजय डेविड ने समाज के गरीब घरों की बेटियों को स्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए वे प्रतिवर्ष समर कैंप का आयोजन कर 40 से 60 युवतियों को सिलाई-कढ़ाई सहित माडर्न तकनीक में भी दक्ष बनाती हैं। समर कैंप में युवतियों को ब्यूटिशियन, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, माडर्न पेंटिग, साफ्ट ट्वायज बनाना, इंब्रायडरी आदि का तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद वे खुद के पैरों पर खड़ी होकर घर व परिवार का भी सहारा बन रही हैं। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त युवतियां, महिलाएं घर से ही रोजगार संचालित कर रही हैं। वे किसी के सहारे रहने की बजाय अब खुद ही परिवार का सहारा बन रही हैं।
व्यक्तित्व विकास पर जोर
अंजू डेविड का मानना है कि गांव की लड़कियों का व्यक्तित्व विकास नहीं हो पाता। इसकी वजह से वे अधिकारों के प्रति भी मुखर नहीं हो पातीं। इसलिए प्रशिक्षण के दौरान विशेष रूप से पर्सनालिटी डेवलपमेंट का प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे किसी भी तरह की स्थिति में अपनी बात बेबाकी से रख सकें। यहां से प्रशिक्षित कई लड़कियां निजी स्कूलों में शिक्षण कार्य कर रही हैं, सामाजिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेती हैं।
आर्थिक आजादी की जरूरत
पिछले सात-आठ वर्षों से अंजू डेविड यह समर कैंप आयोजित कर रही हैं। कछवां व आसपास के क्षेत्र की पांच सौ से ज्यादा लड़कियों ने यहां प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वे मानती हैं कि समाज की सोच में बदलाव लाना जरूरी है। आज भी लड़कियों को सिर्फ शादी-ब्याह करके दूसरे घर भेजने की परंपरा है। लड़कियों को पहले हुनरमंद बनाना चाहिए और आर्थिक रुप से सुदृढ़ करना चाहिए ताकि वे पिता या पति पर कभी बोझ न बन पाएं।
इनमें निश्शुल्क प्रशिक्षण
-ब्यूटिशियन कोर्स
-पर्सनैलिटी डेवलपमेंट
-एंब्रायडरी कारीगरी
-माडर्न पेंटिग तकनीक
-साफ्ट खिलौने बनाना
-कंप्यूटर दक्षता कार्यक्रम