प्रवासी श्रमिकों के साथ ग्राम पंचायतों के विकास को पंख
कोराना महामारी के बीच परदेश से आए प्रवासी श्रमिकों को गांव में चल रही मनरेगा योजना में जहां काम मिल रहा वही इस सरकारी योजना से सरकार की मंशा को भी पंख लग गए। शुक्रवार को कुछ ग्राम पंचायतों में जहा कार्यस्थल पर कुल श्रमिकों के सापेक्ष आधे के आसपास श्रमिक काम श्रमिक काम कर रहें हैं। वही योजना से जहां इनको रोजगार मिल रहा वही ग्राम पंचायतों के विकास को भी पंख लग गए हैं।
जासं, जिगना (मीरजापुर) : कोराना महामारी के बीच परदेस से आए प्रवासी श्रमिकों को गांव में चल रही मनरेगा योजना में जहां काम मिल रहा वहीं इस योजना के जरिए सरकार की मंशा को भी पंख लग गए। शुक्रवार को कुछ ग्राम पंचायतों में जहां कार्यस्थल पर कुल श्रमिकों के सापेक्ष आधे के आसपास श्रमिक काम श्रमिक काम कर रहें हैं। योजना से रोजगार मिल रहा वहीं ग्राम पंचायतों के विकास को भी पंख लग गए हैं।
ग्रामपंचायत मिश्रपुर इसका जीता जागता उदाहरण है, जहां 160 मीटर बंधी निर्माण में लगे लगभग 70 मनरेगा श्रमिकों में 36 श्रमिक हैं जो कि लॉकडाउन में अपने गांव को लौट कर आपदा को अवसर में बदलने की इबारत लिख रहे हैं। इनमें मनीष कुमार जो कि आंध्रप्रदेश में पानी पूरी का काम करते थे, आज हाथ में फावड़े से जमीन की कटान को रोकने हेतु बंधी निर्माण में लगे हैं। सूरज बदलापुर मुंबई में कपड़े की दुकान पर काम करते थे। पप्पू बसही भी मुंबई में प्लास्टिक कंपनी में थे। ऐसे दर्जनों श्रमिकों के लिए आपदा की इस घड़ी में मनरेगा योजना मील का पत्थर साबित हुई। कामगारों का कहना है कि काम-काम होता है। गांव में रहें समय से मजदूरी का भुगतान मिलता रहे तो बाहर क्यों जाएं। प्रधान प्रतिनिधि अबरार अली का कहना है कि प्रवासी श्रमिकों से काम के साथ ही गांव के विकास में सलाह भी ली जा रही है। ग्राम पंचायत अधिकारी श्रीकृष्ण उपाध्याय ने बताया कि क्षेत्र कि हरगढ, भैरुपुर अजगना, खहरिया, तेलियानी, गोगांव आदि ग्राम पंचायतों में लगभग 500 प्रवासी काम कर प्रधानमंत्री के आपदा को अवसर में बदलने की बात को चरितार्थ कर रहे हैं।