युवा इंजीनियर ने बनाई तीन अनोखी कारें, विदेशों तक जलवा
जनपद के युवा इंजीनियर हिमांशु शेखर द्विवेदी का जलवा विदेशों तक फैला हुआ है और आने वाले मई महीने में वे मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में अपनी टीम द्वारा डिजाइन तीसरी कार का प्रदर्शन करेंगे। अब उनकी डिजाइन की गई दो कारें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराही जा चुकी हैं। तकनीकी डिजाइ¨नग में कमाल कर रहे हिमांशु का सपना आइएएस बनने का है, जिसकी तैयारी भी साथ-साथ कर रहे हैं।
मनोज द्विवेदी, मीरजापुर :
जनपद के युवा इंजीनियर हिमांशु शेखर द्विवेदी का जलवा विदेशों तक फैला है। मई महीने में वे मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में खुद की टीम द्वारा डिजाइन तीसरी कार का भी प्रदर्शन करेंगे। उनकी डिजाइन की गई दो कारें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराही जा चुकी हैं। तकनीकी डिजाइ¨नग में कमाल कर रहे हिमांशु का सपना आइएएस बनने का है, जिसकी तैयारी भी वे साथ-साथ कर रहे हैं।
जिले के विशालपुरी कालोनी निवासी हिमांशु शेखर द्विवेदी की पढ़ाई मीरजापुर में हुई है। वे हाईस्कूल-इंटर की परीक्षाओं में टापर रह चुके हैं। इस समय वे रांची (झारखंड) के निफ्ट से बीटेक फाइनल ईयर के विद्यार्थी हैं। हिमांशु शेखर द्विवेदी व उनकी टीम ने सबसे पहले ब्रह्मास्त्र नामक कार बनाई जो न सिर्फ जमीन पर फर्राटा भरने में शानदार है बल्कि रेत व बर्फीले रास्तों पर भी उसी गति से दौड़ सकती है। नासिक प्रदर्शनी में इस कार को काफी सराहा भी गया। इसके बाद इन्होंने वितवर नामक ऐसी कार ईजाद की, जो मात्र 40 किग्रा. वजन की है। महज 90 मिनट चार्ज करने पर 200 किलोमीटर तक दौड़ सकती है। चेन्नई में इस कार का सफल प्रदर्शन करने के बाद इन्हें मलेशिया में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में हिस्सा लेने का मौका मिला है। यह प्रदर्शन मई 2019 में होगा। इनकी डिजाइन की गई कार मार्च तक वहां पहुंच जाएगी।
बेटे की उपलब्धि पर मां को गर्व
प्रशासनिक पद पर काम कर रहीं हिमांशु शेखर द्विवेदी की मां रमा द्विवेदी ने बताया कि उन्हें बेटे की उपलब्धियों पर गर्व है। वह बचपन से ही तेज रहा। बिस्लेरी की बोतलों से कार बनाया करता था। वह हर क्लास में अव्वल आया व परिवार के प्रति भी समर्पित रहा। मां कहती हैं कि 2009 में हिमांशु के पिता व मड़िहान के तत्कालीन तहसीलदार संतोष कुमार द्विवेदी की दुर्घटना में हुई मौत के बाद वह थोड़ा परेशान हुआ लेकिन हिम्मत कभी नहीं हारी।
आइएएस बनने का है सपना
हिमांशु बताते हैं कि वे पिता के सपने को खुद का सपना मानते हैं। आइएएस बनकर ही वह ख्वाब पूरा होगा। इसके लिए बीटेक की पढ़ाई संग तैयारी कर रहे हैं। बताया कि जल्द ही वे दिल्ली से आइएएस की तैयारी शुरू करेंगे। मां रमा द्विवेदी बताती हैं कि उन्हें बेटे की हर उपलब्धि व निर्णय पर गौरवान्वित होने का मौका मिला है।