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मीरजापुर में ड्रमंडगंज के दशहरा मैदान में रावण को जलाने नहीं बल्कि सिर कलम करने की परंपरा, पढ़ें...

Dussehra 2022 मीरजापुर जिले में ड्रमंडगंज में रामलीला के आयोजन के दौरान रावण के पुतले को जलाने की जगह उसका सिर कलम करने की परंपरा है। रामलीला के आयोजन में राम अपनी तलवार से रावण के सभी दसों सिरों को काटते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek sharmaPublished: Wed, 05 Oct 2022 08:15 AM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 08:15 AM (IST)
मीरजापुर में ड्रमंडगंज के दशहरा मैदान में रावण को जलाने नहीं बल्कि सिर कलम करने की परंपरा, पढ़ें...
रावण का सिर काटने की परंपरा यहां निभाई जाती है।

मीरजापुर, जागरण संवाददाता। Dussehra ground of Drummondganj in Mirzapur : हलिया क्षेत्र के ड्रमंडगंज बाजार का विजयदशमी मेला काफी प्रसिद्ध है। ड्रमंडगंज बाजार के ऐतिहासिक दशहरा मैदान में विजय दशमी पर्व पर श्रीराम लीला कमेटी द्वारा रावण के पुतले का दहन नही किया जाता है बल्कि पुरानी परंपरा के अनुसार यहां रावण के पुतले का सिर कलम किया जाता है।

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मंगलवार देर शाम तक रावण के दस सिर वाले लोहे के पुतले को सजाने संवारने में कलाकार दुल्लीचंद बिंद लगे रहे। रावण का पुतला बनाने में जुटे कलाकार दुल्लीचंद बिंद ने बताया कि बुधवार सुबह तक रावण को पुतले का सिर कलम करने के लिए तैयार कर लिया जाएगा। ड्रमंडगंज रामलीला कमेटी के अध्यक्ष लवकुश केसरी ने बताया कि ड्रमंडगंज में रावण के पुतले का सिर कलम करने की सौ वर्ष से भी अधिक समय से स्थापित पूर्वजों की परंपरा को कायम रखने के लिए रावण के दस सिर वाले पुतले को तैयार कर लिया गया है जिसका विजयदशमी पर्व पर दशहरा मैदान में श्रीराम अपने हाथों से सिर कलम करेंगे।

शुरू में लोहे के एक सिर वाले पुतले का निर्माण छटंकी मिस्त्री द्वारा किया गया था बाद में कलाकार दुल्लीचंद बिंद ने एक सिर वाले पुतले का जीर्णोद्धार करके दस सिर वाले लोहे के पुतले का निर्माण कर दिया। लोहे के बने दस शीश वाले पुतले का सिर कलम होने के बाद रामलीला कमेटी के सदस्य उसे अगले वर्ष के लिए सुरक्षित रख देते हैं। विजयदशमी पर्व पर लगभग बीस फीट ऊंचे रावण के पुतले को जब ड्रमंडगंज बाजार में घुमाया जाता है तो सड़क पर भारी भीड़ रावण के पुतले को देखने के लिए उमड़ पड़ती है।

ड्रमंडगंज बाजार का विजयदशमी मेला काफी प्रसिद्ध है यहां आसपास के गांवों के अलावा पड़ोसी जिले प्रयागराज और मध्य प्रदेश के लोग भी रावण का सिर कलम देखने के लिए आते हैं। ग्राम प्रधान कौशलेंद्र गुप्ता ने बताया कि यह कोई नई परंपरा नही है यह परंपरा सौ वर्ष से भी अधिक समय से चली आ रही है जिसका निर्वहन ड्रमंडगंज रामलीला कमेटी द्वारा किया जाता है।


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