बेसहारा पशुओं की राह देख रहा गोवंश आश्रय स्थल
छानबे क्षेत्र के ग्राम पंचायत रसौली में लाखों रुपये की लागत से गोवंश आश्रय स्थल निर्माण कार्य पूरा होने के बाद बेसहारा पशु की राह देख रहा है लेकिन एक भी पशु नहीं है।
जागरण संवाददाता, जिगना (मीरजापुर) : छानबे क्षेत्र के ग्राम पंचायत रसौली में लाखों रुपये की लागत से गोवंश आश्रय स्थल निर्माण कार्य पूरा होने के बाद बेसहारा पशु की राह देख रहा है लेकिन एक भी पशु नहीं है। जबकि शासन का फरमान है कि सड़कों पर एक भी बेसहारा पशु न दिखाई दे उन्हें आश्रय केंद्र में रखा जाए जिससे उनकी देखभाल हो सकें साथ ही किसानों को परेशानी न हो। इसके बाद भी लापरवाही बरती जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि एक ओर सरकारी अमला बेसहारा पशुओं के आश्रय स्थल निर्माण कर पशुओं से हो रहे खड़ी फसल के बचाव का ताना बुन आश्रय स्थल पर लाखों रुपया अपव्यय कर रहा है। वही रसौली ग्राम पंचायत में बन कर तैयार आश्रय स्थल बेसहारा पशुओं की बाट देख रहा है। आश्रय स्थल निर्माण के चार माह बाद भी एक भी बेसहारा पशुओं को लाभ नहीं मिल रहा हैं। क्षेत्र के किसान महेंद्र तिवारी, शिवशंकर, राजेंद्र, राजकुमार, शशिकांत, पुष्पा सिंह, दुर्गा देवी, रमेश बिद, विनय सिंह, आनंद सिंह आदि ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए समस्या समाधान कराने की मांग की है। इस संबंध में ग्राम प्रधान रसौली रामवचन बिद का कहना है कि आश्रय स्थल में पशुओं को चारा पानी के मद में पैसा नहीं आ रहा है, इसलिए पशु आश्रय स्थल पर पशुओं को लाना संभव नहीं है।
छह माह से पशुआश्रय स्थल तैयार, गोवंश नदारद
पटेहरा (मीरजापुर) : स्थानीय विकास खंड क्षेत्र के गढ़वा में छह माह से लाखों रुपये खर्च कर पशुआश्रय स्थल बन कर तैयार है जिसमें गोवंश नदारद है। विकास खंड में दो पशु आश्रय स्थल बनने थे जिसमें कोटवा पांडेय का स्थल विवादित होने से वर्षों से पेंच में आज तक फंसा हुआ है लेकिन राजस्व विभाग आज तक वाद का निपटारा नहीं करा सका। जबकि उक्त प्रस्तावित भूमि में ग्राम पंचायत बोर व पीलर खुदवा कर बाउंड्रीवाल हेतु पूरी तैयारी कर लिया था। वही गढ़वा के पशुआश्रय स्थल में जहां बेसहारा पशुओं को आश्रय मिल जाते तो क्षेत्रीय किसानों का रतजगा छूट जाता वरना महंगी खेती को इन गोवंशों से लहलहाती फसल को सुरक्षित करने में किसानों का दम बिगड़ता जा रहा है। देवरी दुबार खास गांव निवासी किसान दुर्गाप्रसाद ने रोष जताते हुए बताया कि दिनभर खेत में किसान काम करें महंगी अच्छी लागत से खेती व सिचाई कर फसल प्रबंधन करें, जब फसल तैयार हो जाते है तभी बेसहारा पशु आकर फसल चट कर जाते है।