व्यवस्था तो दूर शवदाह गृह का ही अंतिम संस्कार
जागरण संवाददाता मझवां (मीरजापुर) गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए तटीय इलाकों में शवद
जागरण संवाददाता, मझवां (मीरजापुर) : गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए तटीय इलाकों में शवदाह गृह निर्माण के नाम पर केंद्र और राज्य सरकार अंधाधुंध बजट खर्च कर रही है। जिम्मेदार तो लाल हो गए, लेकिन गंगा मैली ही रह गईं। लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए शवदाह गृह का अंतिम संस्कार हो गया। हकीकत तो यह है कि निर्माण एजेंसियों ने इस कदर निर्माण में गड़बड़ी की है कि प्रयोग करने के पहले ही योजना धराशायी हो गई। मंझवा ब्लाक के बरैनी व केवटावीर गांव में बने शवदाह गृह को देख ऐसा ही लगेगा।
ग्राम पंचायत की ओर से मझवां ब्लाक के बरैनी व केवटावीर गांव में शव के अंतिम संस्कार के लिए लाखों रुपये की लागत से शवदाह गृह तो बनाया गया, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आज तक इन दोनों शवदाह गृह में एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। शवदाह गृह में लगाए गए टिनशेड हवा के कारण उड़ गए। क्षेत्रीय जनता शव के अंतिम संस्कार के लिए भटौली बरैनी पक्का पुल के नीचे गंगा किनारे दाह संस्कार करने को मजबूर हैं। गंगा को निर्मल बनाने का था उद्देश्य :
धार्मिक परंपराओं के अनुसार शव का गंगा तट पर अंतिम संस्कार किया जाता है। इससे गंगा में गंदगी फेंक दिया जाता है। सरकार गंगा को निर्मल बनाने के लिए तटवर्ती सभी गांवों में शवदाह गृह और शौचालय निर्माण के लिए पानी की तरह बजट बहाया। शवदाह गृह बनाए गए लेकिन उसका उपयोग एक भी दिन नहीं हुआ। शवदाह गृह के निर्माण का मुख्य उद्देश्य गंगा निर्मल करना था़, लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर अधिकारी भी अंजान बने हुए हैं। वर्जन
वित्तीय वर्ष 2013-14 में बरैनी में ग्राम प्रधान खदेरू यादव व पंचायत सेकेट्री दीनानाथ सरोज तो 2015-16 में केवटावीर में ग्राम प्रधान प्रवेश सिंह और पंचायत सेकेट्री मुकेश मिश्रा ने दस-दस लाख की अनुमानित लागत से शवदाह का निर्माण कराया था। बदहाल शवदाह स्थलों की जांच कराकर उसे व्यवस्थित कराया जाएगा।
- मुकेश कुमार मिश्रा, ग्राम पंचायत अधिकारी।