मुंह चिढ़ाता नजर आता है अधर में लटका पक्का पुल
गंगा पार करने के लिए बरैनी से भटौली के बीच का रास्ता इन दिनों जिस विवशता, खतरे और तकलीफ से तय करना पड़ रहा है, उसकी पीड़ा वे ही महसूस कर सकते हैं, जो रोजाना बालू के टीले को हांफते हुए पार करते हैं। लोग जब सड़क पर पहुंचकर गहरी सांस लेते हुए पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगभग तैयार बना पक्का पुल उन्हें चिढ़ाता नजर आता है।
मनोज द्विवेदी, मीरजापुर :
गंगा पार करने के लिए बरैनी से भटौली के बीच का रास्ता इन दिनों जिस विवशता, खतरे और तकलीफ से तय करना पड़ रहा है, उसकी पीड़ा वे ही महसूस कर सकते हैं, जो रोजाना बालू के टीले को हांफते हुए पार करते हैं। लोग जब सड़क पर पहुंचकर गहरी सांस लेते हुए पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगभग तैयार अधर में लटका पक्का पुल उन्हें मुंह चिढ़ाता नजर आता है। हर साल तीन महीने नाव से सफर करने वाली जनता को दशहरे तक पीपे के पुल का सहारा मिल जाता था। इस बार प्रशासन ने मात्र 25 लाख बचाने के लिए वह भी छीन लिया। तमगा ये कि भटौली का पक्का पुल बन जाएगा लेकिन कब तक, इसका सीधा जवाब किसी के पास नहीं।
गंगा नदी पर भटौली पुल के निर्माण की शुरुआत ही संशय से हुई। पहले हुआ कि जगतानंद आश्रम के पास पुल बनेगा, फिर बात चली कि कछवां बाजार के सामने बनेगा। बातें चलती रहीं और बरैनी गांव व भटौली-जौसरा के बीच पुल बनना तय हो गया। जिस पुल को एक वर्ष पहले सिर्फ 58 करोड़ में तनकर खड़ा हो जाना चाहिए था, उसकी लागत अब 100 करोड़ से ज्यादा पहुंच गई लेकिन पुल अभी भी यह ठीक से खड़ा नहीं हो सका। भटौली-जौसरा की ओर से तो अप्रोच रोड बना दी गई लेकिन बरैनी गांव की तरफ से रोड अभी भी निर्माणाधीन है। 2017 में तीन करोड़ की लागत से अप्रोच रोड बननी शुरू हुई तो गंगा की बाढ़ में पुल के पास की मिट्टी बह गई और निर्माण वहीं थम गया। इसके बाद एक वर्ष तक रोड के बारे में सोचा तक नहीं गया। जब चुनार का पक्का पुल प्रधानमंत्री द्वारा शुरू कर दिया गया तो भटौली पुल के लिए भी दबाव बनने लगा। तमाम कोशिशों के बाद शुरुआत भी हुई तो लगा कि अब अच्छे दिन आने वाले हैं, मगर ऐसा अभी तक दिखाई नहीं दे रहा।
25 लाख बचाने की जल्दबाजी
पुल के लिए अप्रोच रोड निर्माण कार्य का नारियल फोड़कर शुभारंभ करने वाले पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर पहले 15 दिन में निर्माण पूरा होने का दावा करते हैं फिर यह फेल हो जाते हैं। डीएम का दौरा हुआ तो दूसरी डेडलाइन 31 अक्टूबर तय कर दी। इस समय सीमा में आधे से भी कम काम हुआ। अब नवंबर तक की नई डेडलाइन दी गई। रोजाना नाव से गंगा पार करने वाले वकील नंदलाल दूबे ने कहा कि जितनी जल्दबाजी में मात्र 25 लाख की लागत से बनने वाले पीपा पुल को निरस्त करने दिखाई गई उतनी जल्दी अप्रोच रोड निर्माण में रहती तो शायद रोजाना हजारों लोगों को जान जोखिम में डालकर गंगा पार नहीं करना पड़ता।
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नाव संचालक बने संकटमोचक
जासं, कछवां (मीरजापुर) : सरकारी विभागों ने आम लोगों को तकलीफ देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। पीपा पुल न रहने पर हर वर्ष सरकारी स्टीमर चलाया जाता था। इस बार जिला पंचायत की ओर से यह व्यवस्था भी बंद कर दी गई। आम लोगों की पीड़ा देखकर और थोड़ी सी आमदनी की नीयत से चुनार, सीखड़, बरैनी, भटौली के कुछ निजी नाव संचालकों ने लोगों को पार कराने का बीड़ा उठाया है।इन पांच नावों पर सुबह नौ से 11 बजे और शाम को तीन से पांच बजे तक बाइक चढ़ाना किसी पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं है।इसके बावजूद इन्हीं नावों से रोजाना हजारों लोग अधूरे पक्के पुल के नीचे से गंगा पार करते हैं और पुल को देख-देखकर सरकारी व्यवस्था को कोसते हैं।
वर्जन
'हम पूरी कोशिश में हैं कि अप्रोच रोड का काम गुणवत्ता के साथ जल्द पूरा करके आम लोगों को पुल की सौगात दें।निर्माण कार्य पर पूरी नजर रखी जा रही है और लापरवाही पर तुरंत कार्रवाई होगी।'
रमाशंकर, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी
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क्या बोले लोग
पक्का पुल को जनमानस की भावनाओं और परेशानी को देखते हुए जिला प्रशासन को कड़ाई के साथ तेजी से काम पूरा कराकर तत्काल पुल से आवागमन चालू कराना चाहिए, पर उदासीनता बरती जा रही है।
अनवर हुसैन, कछवां दर्जियान
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भटौली पक्का पुल के अप्रोच सड़क निर्माण के कार्यदायी संस्था के वजह से एक बार पाटी गयी मिट्टी बाढ़ के पानी से बह गया था और इस बार फिर धीमी गति से काम हो रहा है, यह बहुत गलत है।
रमेश ¨सह एडवोकेट, बरैनी
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बीस मिनट के मुख्यालय मार्ग को पुल निर्माण न होने से दो घंटे में मजबूरी में, जान जोखिम में डालकर पूरा करना पड़ रहा है।यह ठीक नही है, जनता के साथ छल किया जा रहा है।
राम प्रसाद ¨सह, डोमनपुर
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भटौली के निर्माणाधीन पक्का पुल को जोड़ने वाले सड़क के लिए मिट्टी पटाई हो रही है पर इसके साथ ही पुलिया बनना चाहिए था और दोनों तरफ पत्थर के चौका का तटबंध भी बने। नहीं तो बाढ़ के पानी से गंगा किनारे के गांव जलमग्न हो जाएंगे।
विपिन शर्मा, केवटाबीर
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पुल तो बीरबल की खिचड़ी बन गया है।शासन-प्रशासन दरबारी बन गए हैं।आखिर कब तक इस तरह की व्यवस्था से जनता को छला जाएगा।राजनैतिक तिकड़ी छोड़कर तत्काल पुल चालू कराया जाए। इस बार पीपा पुल भी नहीं बना जो प्रशासन की लापरवाही है।
विनोद कुमार, मीरजापुर
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पक्का पुल का निर्माण सफेद हाथी जैसा हो गया है।15 जून को भटौली पीपा पुल तोड़ने के बाद 15 अक्टूबर तक बन जाता था।इस बार जनता के लिए तो वह कहावत सटीक बन गई कि न घर के रहे, न घाट के।
सुशील ¨सह बरैनी