फैसला कुछ इस तरह से आ गया, हिदू-मुसलमां दोनों को भा गया..
नयनागढ़ महोत्सव समिति उत्तरामुखी गंगा तट चुनार द्वारा कार्तिक पूर्णिमा के पूर्व संध्या पर आयोजित तीन दिवसीय विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : नयनागढ़ महोत्सव समिति उत्तरामुखी गंगा तट चुनार द्वारा कार्तिक पूर्णिमा के पूर्व संध्या पर आयोजित तीन दिवसीय विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें आए कवियों द्वारा अपनी रचनाओं और गीतों से श्रोताओं का देर रात तक भरपूर मनोरंजन किया गया। भाजपा नेता पीएन सिंह कुशवाहा द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
पूनम श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत वाणी वंदना के साथ कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई। मुगलसराय के सुरेश अकेला ने देशभक्ति से ओतप्रोत रचना पढ़ी-देश खातिर जो सर कटा दे अब ऐसा इंसान कहां, खोज रहा हूं मुद्दत से अपना हिदुस्तान कहां..।
गाजीपुर के कुमार प्रवीण ने सुनाया-धरती अंबर बोल कि यही हमारा नारा है, इस दुनिया में सबसे सुंदर हिदुस्तान हमारा है..। सुरेश मंजुल ज्ञानपुरी ने अपनी रचना पढ़ी- बहुत मुश्किल है विषमता का विष पचाने में, आसान बहुत है दूसरों को आईना दिखाने में..। चंदौली के मुहम्मद अली बख्शी ने अपनी रचना पढ़ी- पास रह के भी दूरी हुई, चुभ रही है जैसे कोई सुई, हम वफाओं के गुंचे दिए, ये बताओ खता क्या हुई..। पूनम श्रीवास्तव ने सुनाया- दिल में हमने तुम्हारा गम रख लिया, हमने उल्फत का तुम्हारा भरम रख लिया..। कमलेश्वर कमल ने देश में अमन चैन की अपील करते हुए सुनाया- कवि न हिदू लिखता है, न मुसलमान लिखता है, जब भी लिखता है अमन का पैगाम लिखता है..। अनवर अली अनवर ने सुनाया- उसके गांव गया मैं याद सुहानी लेकर, और लौटा हूं आंख में पानी लेकर..। गीतकार सुरेंद्र मिश्र अंकुर ने सुनाया- फैसला कुछ तरह से खास आ गया, हिदू और मुसलमां दोनो को भा गया..। रमेश चंद पांडेय ने रचना पढ़ी- सोनवा की रानी की कहानी है पुरानी, बाब भर्तृहरि की समाधि सरनाम है..। राजकुमार राजन ने सुनाया- अच्छा हो किसी का न कोई इम्तेहान ले, मुस्लिम पढ़े गीता, हिदू कुरान ले..। मिथिलेश गहमरी ने सुनाया- अंधेरा नफरतों का छा रहा है दुनिया में, चिराग अम्न का हर पल जलाए रखना..। आफताब आलम ने अपनी रचना सुनाई- भारत से तू पार न पइबे, झंडा का एको तिलियो उखाड़ न पइबे..। अध्यक्षता उमेशचंद्र पांडेय व संचालन मिथिलेश गहमरी ने किया। इस दौरान ई. सभाजीत सिंह, सूर्यबली यादव, एमडी सिंह, राम सिंह, रविद्र नाथ सिंह, मेजर कृपाशंकर सिंह, नरेंद्र पांडेय, डा. श्रीप्रकाश पांडेय आदि थे।