छानबे में नहरों का जाल, फिर भी किसान बेहाल
कहने को तो छानबे क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा हुआ है लेकिन धरातल पर किसी काम का नहीं है। विभागीय लापरवाही या मिलीभगत के कारण नहरों से किसानों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो रहा है।
जागरण संवाददाता, जिगना (मीरजापुर) : कहने को तो छानबे क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा हुआ है लेकिन धरातल पर किसी काम का नहीं है। विभागीय लापरवाही या मिलीभगत के कारण नहरों से किसानों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो रहा है। नहरों की साफ-सफाई न होने के कारण टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता हैं। जिसके कारण खेतों में फसलें ¨सचाई के अभाव में सूख जाते है। वही किसान पानी बिन उनकी दिन-रात की मेहनत फिजूल में बर्बाद हो रही हैं।
छानबे क्षेत्र के हर गांव नहरों से तो जुड़े है पर नहरों का अस्तित्व विभागीय उदासीनता के चलते समाप्त होने की कगार पर है। क्षेत्र को छह लिफ्ट कैनालों से जोड़ा गया है। जिसमें उमापुर व मेजा रजवाहा इलाहाबाद जनपद में पड़ता है। वहा का पानी किसान ¨सचाई हेतु आता है। वही इस क्षेत्र में चार लिफ्ट कैनाल हरगढ प्रथम ,हरगढ सेकेंड, अर्जुनपुर व नारायण घाट पंप कैनाल भी है। जो चार दशक पूर्व लगाए गए थे लेकिन वर्तमान में लिफ्ट कैनालों से पानी तो निकलता है पर चंद दूरी का सफर तय कर कुछ एकड़ में बोई फसल को ही ¨सचित कर रहा है। कारण नहरों की दयनीय दशा नहरों में उगे सरपत व बडे़- बडे़ पेड़ जंहा नहर के अस्तित्व को समाप्त करने पर अमादा है। वही विभागीय अधिकारी चंद दूरी तक नहरों की सफाई करा अपने कार्यों की इतिश्री कर लेते है। नहरों के कारण किसान बेहाल
क्षेत्र के खैरा, गोगांव, मिश्रपुर, बीजरकला, असवा, दुगरहा, कसघना, सिकरा मनिकठा, नीवी, बभनी भावा, जरैला, बदेवरा, रघईपुर, गोडसर सरपति, निफरा, नदिनी जोपा, नेगुरा बान ¨सह, चढेरु चौकठा आदि गावों के किसान नहरों में पानी ना आने से बदहाल है। कारण दो दशक से नहर की सफाई ना होने से नहरों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। इन गावों से निकलने वाली नहर में या तो सरपत उग आया है या फिर पेड़, कही-कही नहर को पाटकर ग्रामीण अपनी जागीर समझ रहे है। किसानों ने जताई पीड़ा
सरकार एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने में जुटा है वही धरातल पर विभागीय अधिकारी केवल खानापूर्ति करने में जुटा हुआ हैं।
किसान संतोष ¨सह
नहरों की सफाई नहीं हो रही है, किसानों की जमीन बिना पानी के बंजर व किसान कंगाल हो रहे है। तली की सफाई के नाम पर कागजी कोरम पूरा हो रहा है।
किसान रमाकांत। किसानों की सुविधा हेतु सरकार ने जहां करोड़ों रुपये खर्च कर लिफ्ट कैनालों पर अलग से बिजली फीडर लगाया है जिससे किसानो को चौबीस घंटे पानी मिल सके पर नहरों की दयनीय दशा सरकारी मंशा को ध्वस्त कर रही है।
राजेश नारायण तिवारी। हमारे गांव की नहर में तीन दशक से पानी नहीं आ रहा है। क्षेत्र के किसान बिना पानी के कंगाल हो रहे है उनकी फसल पानी बिन सूखकर बर्बाद हो रही है। नहरों की हालत बदहाल है।
प्रदीप पांडेय।