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आचार्य के बगैर संस्कृत कालेजों में पढ़ रहे छात्र

संस्कृत महाविद्यालयों में आचार्यो अर्थात शिक्षकों के बगैर ही भावी पीढ़ी संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर रही है। जनपद के संस्कृत महाविद्यालयों में शिक्षकों व कर्मचारियों की भारी कमी है। हालात यह है कि किसी भी संस्कृत महाविद्यालय में प्राचार्य नहीं है प्रभारी के भरोसे काम चल रहा है। कई संस्कृत महाविद्यालय एक शिक्षक के भरोसे ही संचालित हो रहा है। इससे संस्कृत महाविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी बाधित हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 05:57 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 05:57 PM (IST)
आचार्य के बगैर संस्कृत 
कालेजों में पढ़ रहे छात्र
आचार्य के बगैर संस्कृत कालेजों में पढ़ रहे छात्र

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : संस्कृत महाविद्यालयों में आचार्यो अर्थात शिक्षकों के बगैर ही भावी पीढ़ी संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर रही है। जनपद के संस्कृत महाविद्यालयों में शिक्षकों व कर्मचारियों की भारी कमी है। हालात यह है कि किसी भी संस्कृत महाविद्यालय में प्राचार्य नहीं है प्रभारी के भरोसे काम चल रहा है। कई संस्कृत महाविद्यालय एक शिक्षक के भरोसे ही संचालित हो रहा है। इससे संस्कृत महाविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी बाधित हो रही है।

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जनपद में सनातन भैरव शंकर ब्रम्ह संयुक्त महाविद्यालय बरियाघाट, आदर्श शिव प्रसाद संस्कृत महाविद्यालय ड्रमंडगंज, भागीरथी ट्रस्ट संस्कृत महाविद्यालय चुनार, श्री गोस्वामी तुलसीदास संस्कृत महाविद्यालय चुनार, श्री भुवनेश्वरी संस्कृत महाविद्यालय बिहसड़ा छानबे सहित लगभग छह सहायता प्राप्त अशासकीय संस्कृत महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। प्रत्येक संस्कृत महाविद्यालय में शास्त्री (बीए प्रथम वर्ष) में 60 सीटों पर प्रवेश लिया जाता है। महाविद्यालयों में प्राचार्य के स्वीकृत पदों में से किसी भी महाविद्यालय में प्राचार्य की तैनाती नहीं हो सकी है, सभी में प्राचार्य के पद रिक्त पड़े हुए हैं। इसी तरह महाविद्यालयों में प्रवक्ता, सहायक अध्यापक के स्वीकृत पदों में से आधे से ज्यादा रिक्त चल रहे हैं। कहीं-कहीं तो एक शिक्षक के भरोसे पठन-पाठन हो रहा है। ऐसे में इन महाविद्यालयों में प्रवेश और पठन-पाठन का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों का भविष्य अंधेरे में पड़ा हुआ है।

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वर्जन

संस्कृत महाविद्यालयों में प्राचार्य, शिक्षक व शैक्षिक कर्मचारियों के कई पद रिक्त हैं। इन पदों पर तैनाती के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए शिक्षकों को संबद्ध करके शिक्षण कार्य कराया जा रहा है।

- देवकी सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, मीरजापुर।


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