आसमान से होगी पराली जलाने वालों की निगहबानी
जागरण संवाददाता मीरजापुर पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर शासन-प्रशासन अब किसी को भी ब
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर शासन-प्रशासन अब किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं है। पराली जलाने वालों की अब आसमान से सैटेलाइट से सीधे निगहबानी होगी। खेतों में लोगों की नजरों से छिपकर पराली जलाने वाले अब तीसरी आंख से नहीं बच पाएंगे। ऐसा करने वालों को अत्याधुनिक सैटेलाइट अक्षांश व देशांतर से तत्काल पकड़ लेगा। खेतों में पराली जलने पर धुएं उड़ते मिले तो संबंधित पर एफआइआर दर्ज कराया जाएगा। साथ ही आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। जनमानस के स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता को बार-बार शासन-प्रशासन द्वारा समझाने के बाद भी कुछ किसान हठधर्मिता नहीं छोड़ रहे हैं। इनके द्वारा खेतों में पराली जलाना बदस्तूर जारी है। ऐसे किसानों पर शासन-प्रशासन नकेल कसने की कवायद आरंभ कर दी है। वर्तमान समय में खरीफ के मौसम में धान की फसल तैयार हो रही है, जिसकी कटाई के बाद किसान अक्सर बची पराली को खेत में ही जला देते है, जिससे बहुत ही वायु प्रदूषण होता है। किसान पराली का उपयोग खेत में ही खाद के रूप में कर सकते हैं। फसल अवशेष पराली जलाने से हो रहे वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए शासन-प्रशासन सख्त है।
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पराली जलाने से होता है ये नुकसान
उप निदेशक कृषि डा. अशोक उपाध्याय ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, जिससे श्वांस संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है साथ ही जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फसलों की वृद्धि एवं उत्पादन भी प्रभावित होती है। खेत में पाये जाने वाले मित्र कीट मरने से खेत की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। मिट्टी का कार्बन जलकर नष्ट होने से उस भूमि में कोई भी फसल उगाना एवं उत्पादन करना संभव नहीं होता है।
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पराली जलाया तो भरना पड़ेगा जुर्माना - 2 एकड़ से कम होने पर रूपया 2500 प्रति घटना।
- 2 एकड़ से अधिक कितु 5 एकड़ तक होने पर रूपया 5000 प्रति घटना।
- 5 एकड़ से अधिक होने पर रूपया 15000 प्रति घटना अर्थदंड
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जनपद में कुल किसान - 2,72,631
जनपद में लघु सीमांत किसान - 2,50,000
रबी फसल में किसान - 40,013
जिले में बीमित क्षेत्रफल - 45,018 हेक्टेअर
पीएम किसान योजना से लाभांवित किसान - 1,81,750