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न्याय की गुहार में गुजारे 31 साल परिवार भीख मांगने के लिए विवश

संतनगर चौकी क्षेत्र के रैकल निवासी अमरनाथ को वर्ष 19

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 09:42 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 09:42 PM (IST)
न्याय की गुहार में गुजारे 31 साल
परिवार भीख मांगने के लिए विवश
न्याय की गुहार में गुजारे 31 साल परिवार भीख मांगने के लिए विवश

जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर) : संतनगर चौकी क्षेत्र के रैकल निवासी अमरनाथ को वर्ष 1985 में ट्रैक्टर खरीदना भारी पड़ा। यदि उन्हें यह पता होता कि बैंक और अमीन मिलकर पूर्वजों से मिली संपत्ति हड़प लेंगे तो शायद ट्रैक्टर न खरीदते। यह कहना है रैकल गांव के अमरनाथ व देवरी कटाईया के दीनानाथ, पथरौर के बाबूनंदन का। ये लोग 1985 की बाढ़ में ट्रैक्टर खरीदे थे, जिसकी किस्त की भरपाई न किए जाने से वर्ष 1988 में ही ट्रैक्टर से हाथ तो धोना ही पड़ा सारी जमीन भी औने-पौने दाम में नीलाम कर दी गई।

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अमरनाथ बताते हैं कि तहसील सदर के अमीन लालधर दूबे, अंबिका प्रसाद व दयाशंकर की निगाहें दक्षिणांचल में जमीन खरीदने पर गड़ी थी। जिसके चलते ये लोग अधिकारियों को अपने विश्वास में लेकर मेरी 26 बीघा जमीन मात्र 24 हजार में अपनी-अपनी पत्नियों के नाम नीलाम करवा लिया। प्रार्थी न्याय की गुहार में भटकता रहा हालांकि स्थगन तो मेरे पक्ष में ही मिला किन्तु न्याय नहीं मिल सका। जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर सैकड़ों की संख्या में विपक्षी मेरे जमीन को हथियाने बराबर आते है कितु हम मर मिटने को तैयार रहते हैं। जिससे मुंह की खानी पड़ती है और लौट जाते हैं। इनकी पहुंच कहां तक है इसका उदाहरण है कि वाराणसी कमिश्नरी में 31 दिसंबर 1990 को होने वाला फैसला 28 नवंबर 1990 को ही हो गया। अब सिविल कोर्ट में निरस्तीकरण के लिए वाद दाखिल कर न्याय की गुहार लगाइ गई है। नीलामी की नहीं मिली मूल पत्रावली

इस प्रकरण में सबसे अहम सवाल यह है कि नीलामी की मूल पत्रावली ही नहीं मिल रही। जिसको आधार मानकर मेरी सारी जमीन तीन अमीनों की पत्नियों के नाम किया गया और न ही उन लोगों के ऊपर कोई अपराध जैसे कार्रवाई ही की गई।


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