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खुले आसमान के तले छह बेसहारा पशुओं की मौत

नरायनपुर ब्लाक के फिरोजपुर ग्राम पंचायत में बने गो आश्रय स्थल में शनिवार की भोर में संदिग्ध रूप से 6 गोवंश की मौत हो गई। इसकी जानकारी मिलते ही शनिवार दोपहर तक मौके पर कई आलाधिकारी पहुंचे। डीएम सुशील कुमार पटेल ने बताया कि रात में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से छह गोवंश की मौत हुई है। हालांकि उन्होंने अधिकारियों से कई बिदुओं पर स्पष्टीकरण भी मांगा है और गो आश्रय स्थल पर सुधार के कई निर्देश दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 06:12 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 11:15 PM (IST)
खुले आसमान के तले छह  बेसहारा पशुओं की मौत
खुले आसमान के तले छह बेसहारा पशुओं की मौत

जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : नरायनपुर ब्लाक के फिरोजपुर ग्राम पंचायत में बने गो आश्रय स्थल में शनिवार की भोर में संदिग्ध रूप से 6 गोवंश की मौत हो गई। इसकी जानकारी मिलते ही शनिवार दोपहर तक मौके पर कई आलाधिकारी पहुंचे। डीएम सुशील कुमार पटेल ने बताया कि रात में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से छह गोवंश की मौत हुई है। हालांकि उन्होंने अधिकारियों से कई बिदुओं पर स्पष्टीकरण भी मांगा है और गो आश्रय स्थल पर सुधार के कई निर्देश दिए हैं।

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सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रमुखता में गोवंश आश्रय स्थल हैं जबकि मौके पर मौजूद गायों और बछड़ों के लिए ठंड से बचाने के कोई इंतजामात नहीं दिखाई दिए जिससे स्पष्ट है कि अधिकारी गोवंशों की सुरक्षा और देखरेख के प्रति कितने गंभीर हैं। घटनास्थल पर मौजूद गांव वालों दबी जुबान में कहा कि लापरवाही, बारिश और ठंड की वजह से गायों की मौत हुई प्रतीत होती है। शनिवार की सुबह जब ग्रामीण उधर से गुजरे तो आधा दर्जन मवेशियों को मृत देखा गया। यह सूचना जंगल में आग की तरह फैली। गोशाला की देखरेख कर रहे लोगों ने ग्राम प्रधान को इसकी जानकारी दी। अचानक से इतनी संख्या में गोवंश की मौत पर सभी के हाथ-पांव फूल गए। करीब पौने ग्यारह बजे उपजिलधिकारी चुनार जंगबहादुर यादव, सीओ हितेंद्र कृष्ण, प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार मिश्रा भी घटनास्थल पहुंचे। इसके बाद सीडीओ प्रियंका निरंजन और जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने भी घटनास्थल का जायजा लिया और अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए।

जिलाधिकारी ने मांगा स्पष्टीकरण

जिलाधिकारी ने इस मामले में पशु चिकित्साधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा है। डीएम ने सख्त तेवर में मौजूद अधिकारियों से कहा कि गो आश्रय स्थल और इसमें रह रहे गोवंशों की देखरेख में कोई लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। उन्होंने बाउंड्री वाल बनवाने, पाथवे निर्माण, अधिक पशुओं की संख्या को देखते हुए पास में बन रहे शेड का निर्माण शीघ्र पूरा कराने के अलावा कई निर्देश दिए।

जब बीडीओ गए तिरपाल लेने

गोवंश आश्रय स्थल पर ठंड से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं होने की बाबत जब डीएम ने मातहतों से पूछा तो मौके पर मौजूद नरायनपुर विकास खंड के अधिकारी व कर्मचारियों को सर्दी में भी पसीना आने लगा। आननफानन में प्रभारी खंड विकास अधिकारी दिनेश कुमार मिश्रा स्वयं शेड को ढंकने के लिए तिरपाल लेने के लिए बाजार की ओर रवाना हो गए। पीएम के बाद दफनाए गए शव

इस बीच पशु पालन विभाग के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. कपूर व नरायनपुर के पशु चिकित्सा अधिकार डा. सीएस चौहान व विध्याचल शिवपुर के डा. विवेकानंद पटेल ने पोस्टमार्टम किया। इसके बाद मृत चार गायों व दो बछड़ों को गोशाला के एक छोर पर बड़ा गड्ढा करावकर दफनाया गया।

क्षमता 60 की, मौके पर 106 मवेशी

सीडीओ प्रियंका निरंजन ने गो आश्रय स्थल के बारे में पूछा तो सेक्रेटरी ने बताया कि यहां 60 मवेशियों की क्षमता है लेकिन कुल 106 मवेशी मौजूद हैं। अधिक संख्या पर सीडीओ द्वारा सवाल हुआ तो अधिकारी ने बताया कि पुलिस द्वारा पिछले पकड़े गए गोवंश यहां छोड़े गए जिससे संख्या बढ़ गई। आसपास के गांव वाले अपने मरणासन्न मवेशी यहां छोड़ जाते हैं।

11 दिनों से खराब पड़ा है पंप

स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार अफसरों को इस गौशाला में कदम रखने की कभी मोहलत नहीं मिलती है। शनिवार को मौके पर कहीं भी हरे चारे की व्यवस्था नहीं दिखी। कागजों का पेट भरने में जिम्मेदार भले ही माहिर हों लेकिन इन बेसहारा मवेशियों की भूख कितनी मिटती है ये बताने के लिए इन बेजुबानों के पास कोई युक्ति नहीं हैं। प्रधान पति ने बताया कि चार महीने से इस मद में पैसा नहीं मिला। हैंडपंप भी खराब है। केयरटेकर प्रफुल्ल कुमार पटेल, रमेश, दलश्रृंगार को भी अभी तक मानदेय नहीं मिला।

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लापरवाही व बदइंतजामी दिखी

मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने गोशाला की बदहाली और बदइंतजामी पर सवाल खड़े किए। ग्रामीणों की मानें तो गोवंश के लिए न तो यहां हरे चारे का इंतजाम है और न ही उन्हें प्रचुर मात्रा में आहार ही दिया जाता है। घटना की जानकारी होने पर पहुंची मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन ने घटना की बाबत जानकारी ली और प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को बाड़बंदी करने और मौजूद पशु चिकित्सा अधिकारी को नर और मादा पशुओं समेत बड़ों और बछड़े-बछियों को अलग रखने के निर्देश दिए।

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