नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ओवरहेड टैंक बना शोपीस
जागरण संवाददाता, राजगढ़ (मीरजापुर) : नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शासन ने पानी की तरह पैसा बहाय
जागरण संवाददाता, राजगढ़ (मीरजापुर) : नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शासन ने पानी की तरह पैसा बहाया लेकिन सभी कागजों तक सीमित है। क्षेत्र में लगभग एक दर्जन स्थानों पर ओवरहेड टैंक का निर्माण कराया गया है लेकिन सभी शोपीस बने हुए हैं। आरोप है कि इसका फायदा वही ले रहे है जिनके जमीन पर निर्माण कराया गया है। ग्रामीण पानी के लिए तरस जा रहे है। जिसके कारण क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। टंकी में पानी भरने के लिए बो¨रग कराने के साथ-साथ जेनरेटर की व्यवस्था की गई है। इसके बाद ही विभागीय लापरवाही के चलते पाइप लाइन कई स्थानों पर नहीं बिछाई गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि जिनकी भूमि में टंकी व बो¨रग लगाई गई है, वह केवल अपनी ¨सचाई के लिए ही बो¨रग का इस्तेमाल करते हैं।
क्षेत्र के खोराडीह, हिनौता, पुरैनिया, सेमरा बरहो, खमरिया, सोनबरसा, नुनौटी, सरसो सेसरी, जौगढ़, सक्तेशगढ़ आदि स्थानों पर सरकार ने गांवों में पानी की दिक्कत न हो, इसके लिए ओवरहेड टंकी बनवा दिया है। खोराडीह के नैपुरवां अंचलपुर और पंचायत भवन पर पाइप बिछा दी गई लेकिन पाइप हल्की क्वालिटी होने के कारण जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। हालांकि गांव में जगह-जगह हैंडपंप लगा दिया गया है लेकिन ग्रामीणों को जरुरत के हिसाब से पानी नहीं मिल पाता है। गांव निवासी दशमी ¨सह ने कहा कि सरकार ओवरहेड टैंक पर पानी की तरह पैसा बहा रही है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। राजकुमार ने बताया कि टंकी इतनी जर्जर हो चुकी हैं कि पानी गिरता रहता है। ग्रामीणों ने बताया प्रति माह की दर से तीस रुपये बिल आता है लेकिन पानी नहीं मिलता है। हिनौता करमा गांव निवासी अजीत कुमार, शिव ने कहा कि पानी की किल्लत अभी से शुरू हो गई है और हैंडपंप में पाइप डलवाने के बावजूद पानी नहीं निकल रहा है। अगर इसी तरह रहा तो गांव के अधिकतर लोग पलायन करने को विवश होंगे। -खमरिया में सबमर्सिबल व जेनरेटर गायब
ब्लाक अंतर्गत ग्राम सभा पुरैनिया के पुरैनिया, खमरिया, सोनबरसा में ओवरहेड टैंक बने है लेकिन तीनों शोपीस बनकर रह गए हैं। किसी भी ग्रामीण को यहां से पानी नहीं मिलता है। खमरिया के ओवर हेड टैंक का सबमर्सिबल और जनरेटर गायब हो गया है। इस संबंध में विभाग को सूचना दे दिया गया लेकिन आज तक अधिकारी कभी भी देखने नहीं आए कि पानी की टंकी चल रही है या फिर कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं।