Road Safety in Mirzapur : सड़कों पर दौड़ रहे 4,110 अनफिट वाहन, सुरक्षा उपकरणों के प्रति भी जागरुकता कम
Road Safety in Mirzapur वाहन और वाहनों में सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी। मोटर व्हीकल एक्ट में वाहनों की फिटनेस जांच को लेकर कड़े नियम हैं। ज्यादतार वाहन चालक सुरक्षा प्रणाली से अनभिज्ञ हैं। सड़क पर होने वाले अधिकांश दुर्घटनाओं की वजह बनते हैं।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जनपद में 4,110 अनफिट वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिससे हादसे भी हो रहे हैं। इसके अलावा वाहन स्वामी भी वाहनों में सुरक्षा उपकरणों से परहेज करते दिखते हैं। लोगों में जागरूकता की कमी है। बहुत कम लोग एयरबैग व एंटी फागिंग लाइट पर बात करते हैं। जबकि इनके वाहन में होने से दुर्घटनाओं को बहुत कम किया जा सकता है।
500 में से 20 वाहनों में दिखी एंटी फाग लाइट
सुबह में धुंध दिखने लगी है। मंगलवार को जागरण की टीम ने जनपद के विभिन्न व्यस्ततम चौराहों, हाईवे व सड़कों की पड़ताल की। इस दौरान जनपद के विभिन्न क्षेत्रों यथा ड्रमंडगंज, हलिया, अहरौरा, राजगढ़, लालगंज, पटेहरा, मीरजापुर के विभिन्न चौराहों पर वाहनों में लगे एंटी फागिंग लाइट की जांच की गई। इस दौरान करीब एक घंटे के अंदर सभी क्षेत्रों से 500 से ज्यादा वाहन गुजरे जिनमें सिर्फ 20 को छोड़कर किसी भी वाहन में एंटी फागिंग लाइट नहीं दिखी।
पटेहरा के दीपनगर चौराहे पर एक घंटे में 40 से ज्यादा वाहन गुजरे, लेकिन सिर्फ एक वाहन को छोड़ किसी में भी एंटी फागिंग लाइट नहीं थी। हलिया से लालगंज जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर तीन वाहन दिखे जिनमें एंटी फागिंग लाइट थी। शेष जितने भी गुजरे, उनमें एंटी फागिंग लाइट नहीं थी। राजगढ़ से सोनभद्र निकलने वाले मार्ग पर टीम ने पड़ताल की। यहां एक घंटे में करीब 86 वाहन निकले लेकिन केवल चार गाड़ियों में एंटी फागिंग लाइट मिली जो बीएस-6 माडल की रही।
फिटनेस जांचने को उपयुक्त संसाधन नहीं, एयरबैग की भी नहीं होती जांच
आरआइ पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि वाहनों की फिटनेस जांच के लिए मीरजापुर आरटीओ कार्यालय में उपयुक्त संसाधन नहीं है। अभी भी मैन्युअल ही जांच की जा रही है। न तो स्पीड मापने के लिए यंत्र है, न ही हेलमेट बीम मापने के लिए मशीन।
सवाल उठना लाजिमी है कि सिर्फ आंखों से देखकर वाहनों की फिटनेस किस तरह जांची जाती होगी? आरआइ के मुताबिक फिटनेस के तौर पर वाहनों की सिर्फ इंजन, हार्न, वाइपर, लाइट, ब्रेक सिस्टम, पाल्यूशन, शीशा, टेप रेडियम, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट व टायर की जांच की जाती है। हालांकि एयरबैग, जीपीएस, कैमरे, एंटी फागिंग लाइट आदि की जांच नहीं की जाती। छह एंगल से वाहन का फोटो विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करना होता है तभी फिटनेस प्रमाण पत्र मिलता है।
ये होती है क्रैश टेस्ट रेटिंग
सभी वाहन निर्माता कंपनियों द्वारा एक संस्था के माध्यम से कारों का क्रैश टेस्ट किया जाता है। कार के माडल व वैरिएंट के आधार पर अलग-अलग तरह के सेफ्टी फीचर्स होते हैं जैसे-एयरबैग्स, एबीएस, कैमरा, स्पीड अलर्ट, सेफ्टी बेल्ट, बैक सेंसर, एयरबैग आदि।
क्रैश टेस्ट से पता चलता है कि जब कार का एक्सिडेंट होगा तो अंदर बैठे शख्स की जान बचेगी या नहीं, या फिर उसे कितना नुकसान होगा। इसी के आधार पर स्टार रेटिंग दी जाती है। किसी वाहन का फाइव रेटिंग होता है तो किसी का फोर।
64 हजार से ज्यादा चालान फिर भी नहीं मान रहे लोग
सड़क हादसे को कम करने के लिए विभाग के अधिकारियों की ओर से भी कार्रवाई की जा रही है लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी व लापरवाही की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। आरटीओ और यातायात पुलिस की संयुक्त कार्रवाई की बात करें तो एक जनवरी 2021 से अब तक सीट बेल्ट न लगाने में कुल 5810 तो बिना हेलमेट में 59283 का चालान किया गया है। इनमें आरटीओ की ओर से सीट बेल्ट में 2487 तो बिना हेलमेट में 14030 का चालान काटे गए। इसके अलावा यातायात विभाग की ओर से सीट बेल्ट में 3323 तो बिना हेलमेट में 45253 चालान किए गए।
वाहन खरीदते समय क्रैश टेस्ट रेटिंग के बारे में पूछते हैं
मीरजापुर में सिर्फ पांच प्रतिशत ही ऐसे लोग हैं जो वाहन खरीदते समय क्रैश टेस्ट रेटिंग के बारे में पूछते हैं।
-शुभम अग्रवाल, मालिक, अग्रवाल आटो सेल्स, मीरजापुर
वर्ष 2023 से मीरजापुर में भी आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) की व्यवस्था हो जाएगी। जब तक मशीन के हिसाब से वाहन का मानक पूरा नहीं होगा, फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
-संतोष कुमार, एआरटीओ।