कछवां-जमुआं सड़क निर्माण में सवा करोड़ का घोटाला
जनपद में सड़क निर्माण में किस तरह से घोटाले किए जा रहे हैं, इसकी एक बानगी कछवां-जमुआं मार्ग दिखा रहा है। वाराणसी के राजातालाब को जोड़ने वाली यह सड़क कागज पर 12 किमी. जब कि हकीकत में 10 किमी.। कागज पर सड़क की पटरी बनी है, वास्तविकता में एक किमी. भी पटरी नहीं बनी। इसके निर्माण में कुल 2 करोड़ 91 लाख 36 हजार रुपये खर्च किए गए लेकिन जो काम हकीकत में सामने है, वह डेढ़ करोड़ से भी कम लागत में पूरा को सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार सड़क निर्माण में सवा करोड़ से भी ज्यादा का घोटाला किया गया है।
मीरजापुर : जनपद में सड़क निर्माण में किस तरह से घोटाले किए जा रहे हैं, इसकी एक बानगी कछवां-जमुआं मार्ग दिखा रहा है। वाराणसी के राजातालाब को जोड़ने वाली यह सड़क कागज पर 12 किमी जबकि हकीकत में 10 किमी। कागज पर सड़क की पटरी बनी है, वास्तविकता में एक किमी भी पटरी नहीं बनी। इसके निर्माण में कुल 2 करोड़ 91 लाख 36 हजार रुपये खर्च किए गए लेकिन जो काम हकीकत में सामने है, वह डेढ़ करोड़ से भी कम लागत में पूरा को सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार सड़क निर्माण में सवा करोड़ से भी ज्यादा का घोटाला किया गया है।
सूचना के अधिकार तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार सड़क निर्माण का वास्तविक बजट पता चला है, जो चौंकाने वाला है। पहले जहां इसके निर्माण में दो करोड़ का खर्च बताया जा रहा था वह हकीकत में कुल 2 करोड़ 91 लाख 36 हजार रुपये है। अब इसकी हकीकत भी जान लें, विभाग की आधिकारिक जानकारी में दावा किया गया है कि सड़क निर्माण की लंबाई 12 किमी है जबकि यह सड़क करीब 10 किमी बनी है। यह निर्माण भी दो बार में एक साल के अंतराल पर पूरा किया गया। विभाग का दावा है कि सड़क की चौड़ाई 3.75 मीटर से 5.50 मीटर है, जबकि कछवां बाजार से आगे कहीं भी सड़क तीन मीटर से ज्यादा चौड़ी नहीं है और दोनों तरफ पटरी बनाने का तो कहीं नामोनिशां तक नहीं है। इतना ही नहीं, निर्माण के तीन महीने बाद ही सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई तो इसकी पै¨चग कराकर बेहतर दिखाने की कोशिश हुई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि ऐसा नहीं है कि यह सड़क पहली बार बनाई गई है, यह पिच रोड चार दशक पुरानी है और कई बार इसका निर्माण हुआ है, इसके बावजूद इतनी धनराशि खर्च करने में खूब खेल किया गया। सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मिली सड़क का काम 06-07-2016 से शुरू करके 07-11-2017 में पूरा किया गया। जबकि हकीकत में सड़क का काम 2018 के शुरूआती महीने में पूरा किया गया।
कागज पर मानक पूरे, सड़क पर अधूरे
जनपद में सबसे बड़ा घोटाला इस सड़क के निर्माण में हुआ है। बताया कि सड़क को मानक के अनुसार डब्ल्यूएमएम, प्राइमकोट, टैककोट, पीसी, सीलकोट कराया जाना था लेकिन इसमें एक कोट गिट्टी डालकर काली गिट्टी व कोलतार से सड़क बना दी गई। आरटीआइ कार्यकर्ता इरशाद अली ने बताया कि विभाग की सूचना के अनुसार पूरे 12 किमी तक दोनों तरफ पटरी बनाई गई है लेकिन वास्तविकता में कछवां बाजार के जमुआं मोड़ से एक किमी आगे कब्रिस्तान तक ही सड़क चौड़ी और पूरे 10 किमी तक कहीं भी पटरी नहीं बनी है।
कई सूचनाएं नहीं दी गईं, आपत्ति दाखिल
कछवां-जमुआं संपर्क मार्ग से जुड़ी करीब एक दर्जन सूचनाएं पीडब्ल्यूडी विभाग ने आवेदक को नहीं दी और उनके एवज में एडवांस रकम जमा करने की मांग की गई है। जबकि नियमानुसार 30 दिन के बाद कोई विभाग सूचना देता है तो उसे शुल्क या फोटोकापी का पैसा मांगने का अधिकार नहीं है। इस मार्ग से जुड़ी सूचनाएं विभाग ने सिर्फ इसलिए नहीं दी क्योंकि इससे घोटाले की और तहकीकात सामने आ जाएगी।
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'शिकायत मिलती है तो इसकी जांच कराई जाएगी और संबंधित विभाग की लापरवाही सामने आने पर शासन को अवगत कराकर विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।'
- अनुराग पटेल, जिलाधिकारी, मीरजापुर