जो धर्म की रक्षा करता है उसकी रक्षा धर्म करता है : गंगाधरेंद्र सरस्वती
जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यह विचार ¨वध्य कोल्ड स्टोरेज मुंहकुचवां में आयोजित संगोष्ठी में बुधवार को पधारे पीठाधीश्वर जगद्गगुरु शंकराचार्य स्वामी गंगाधरेंद्र सरस्वती महराज ने भक्तों के बीच व्यक्त किया।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यह विचार ¨वध्य कोल्ड स्टोरेज मुंहकुचवां में आयोजित संगोष्ठी में बुधवार को पधारे पीठाधीश्वर स्वामी गंगाधरेंद्र सरस्वती महराज ने भक्तों के बीच व्यक्त किया। इस दौरान महराज का दर्शन करने के लिए तथा उनकी कथा सुनने के लिए काफी संख्या में भक्तों का जनसैलाब पहुंचा था। भक्तों के जयकारे से पूरा पंडाल गूंजता रहा।
गंगाधरेंद्र ने कहा कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, ऐसा हम दैनिक उद्घोष करते लेकिन उद्घोष से कल्याण नहीं होगा। कल्याण धर्म के आचरण से होगा। कहा कि धर्म के पालन में होने वाली पीड़ा को सहना, लालच न करना, इंद्रियों पर नियंत्रण करना भी प्रज्ञा से युक्त होना है। विद्या आत्म-अनात्म का दर्शन करना, सत्य-मिथ्या और अहितकारी वचन का आचरण न करना, अक्रोध-क्रोध से बचना इन दस गुणों से ही धर्म की जय होगी। भक्तों के प्रश्न के उत्तर में कहा कि हम अपने भटके ¨हदुओं को आत्मसात करके उनके लिए ¨हदू समूह में एक दरवाजा खुला हुआ है जो कि व्यवस्था हमारे यहां है। हम अपने आश्रम में ऐसे लोगों को शिष्य बनाते हैं। इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रचारक चंद्रमोहन, कैलाशनाथ द्विवेदी, डा. गणेश प्रसाद अवस्थी, गोवर्धन त्रिपाठी, शिव नारायण तिवारी, विष्णु नारायन तिवारी आदि मौजूद थे।