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राम वनगमन की लीला देख दर्शक भाव विभोर

नगर कें सहुवाइन गोला में अहरौरा धर्म सभा के तत्वावधान में चल रही रामलीला में शनिवार की रात राम वनगमन का मंचन किया गया। जिसे देखकर लीला प्रेमियों की आंखों में आंसू आ गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 07:05 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 07:05 PM (IST)
राम वनगमन की लीला 
देख दर्शक भाव विभोर
राम वनगमन की लीला देख दर्शक भाव विभोर

जागरण संवाददाता, अहरौरा (मीरजापुर) : नगर कें सहुवाइन गोला में अहरौरा धर्म सभा के तत्वावधान में चल रही रामलीला में शनिवार की रात राम वनगमन का मंचन किया गया। जिसे देखकर लीला प्रेमियों की आंखों में आंसू आ गए।

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अयोध्या में चारो ओर उल्लास छाया हुआ है, राजदरबार में सकल समाज की ओर से महाराज दशरथ से कहा जाता है कि श्री रामचंद्र जी सब भांति योग्य हैं, जन-जन की अभिलाषा है कि वो युवराज पर आसीन हों। देवता गण सोच में पड़ जाते हैं कि राम राज्य कार्य में लिप्त हो जायेंगे तो उद्धार असुरों से विलंबित हो जाएगा वो मां शारदा से विनती करते हैं कोई उपाय करें जिससे राम वन गमन करें। देवगणों की पीड़ा से अवगत हो मां शारदा मंथरा मंदमति के मति को हर लेती हैं वह कैकेई को नाना प्रकार से समझाकर भरत के लिए राजगद्दी व राम के लिए वनवास की मांग दशरथ जी से करवाने के लिए तैयार करती है। रानी कैकेई जाकर कोप भवन में लेट जाती हैं। दशरथ जी को ज्ञात होता है वह जाकर कारण पूछते हैं, कैकेई उनको उनका प्रण याद दिला कर पूरा करने का वचन लेती हैं फिर भरत के लिए राज्य और राम के 14 वर्ष का वन-गमन मांगती हैं जिसे सुनकर दशरथ जी वचन पूरा करने के लिए भरे हृदय से राम को बुलवाया, राम आते हैं कैकेई से पूछते हैं वो बताती है कि मुझे दो वरदान दिये थे मैंने मांग लिया है। भरत को राजगद्दी व राम को वनवास यह सुनकर राम सहर्ष तैयार हो गए और वन-गमन की तैयारी करने लगे साथ सीता जी भी तैयार हो जाती हैं और लक्ष्मण भी, नगर में हाहाकार मच जाता है। राम के वनगगमन की बात सुन अयोध्यावासी रोकते हैं पर सबको समझा-बुझाकर राम वन को प्रस्थान कर जाते हैं। शोकाकुल दशरथ इस पीड़ा को सहन नहीं कर पाते भक्त श्रवण कुमार के माता-पिता के श्राप को याद करते हुए अपने प्राणों को त्याग देते हैं। भाव प्रवण मंचन से दर्शक अश्रुपूरित हो जाते हैं। रामलीला समिति अध्यक्ष सर्वेश अग्रहरि, मंत्री राजेश जायसवाल, चकिया के चेयरमैन आदि उपस्थित थे।


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