रहे असुर छल छोनित भेखा, तिन्ह प्रभु प्रकट काल सम देखा
कछवां थानाक्षेत्र के बधवां गांव में चल रहे पंच दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से पंडित रामचंद्र मिश्र ने राम कथा को आगे बढ़ाते हुए धनुष यज्ञ का उल्लेख किया। कहा कि रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने परशुराम का आगमन जिस तरह से सभा में कराया है वैसा अन्य ग्रंथों में नहीं है।
जासं, जमुआं (मीरजापुर) : कछवां थानाक्षेत्र के बधवां गांव में चल रहे पंच दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से पंडित रामचंद्र मिश्र ने राम कथा को आगे बढ़ाते हुए धनुष यज्ञ का उल्लेख किया। कहा कि रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने परशुराम का आगमन जिस तरह से सभा में कराया है वैसा अन्य ग्रंथों में नहीं है। बल्कि अन्य ग्रंथों (बाल्मीकि रामायण, आध्यात्म रामायण, श्रीमद् भागवत आदि) में जनकपुर के मार्ग में उन्हें दिखाया गया। इसके पीछे तुलसीदास जी की एक योजना थी और वह यह कि सभा में जितने राजा लोग उपस्थित हुए थे वे वास्तव में राजा नहीं अपितु राजा के भेष में राक्षस थे इसलिए उन्होंने लिखा कि 'रहे असुर छल छोनित भेखा, तिन्ह प्रभु प्रकट काल सम देखा' और परशुराम जी से सभी राक्षस भय खाते थे। चूंकि विवाह जैसे शुभ कार्य में मारकाट जैसी कोई अशुभ घटना न घटे इसलिये उसे रोकने के लिए उन्होंने परशुराम जी के आगमन नए घटनाक्रम के तहत 'तेहि अवसर सुनि सिवधनु भंगा, आएहुं भृगुकुल कमल पतंगा, जनकपुर की सभा में कराते हैं। यह तुलसी दास जी की दूरदर्शिता के साथ-साथ उनके ग्रंथ की पवित्रता का और अपने प्रभु श्रीराम के प्रति अनन्य चरणानुरागिता का भी परिचायक है। ताकि उनके प्रभु पर किसी तरह का दोषारोपण न हो सके। कथा अवसर पर सुधी श्रोताओं में जवाहिर पंडित, सनकू तिवारी, शिवचरन प्रजापति, रमजियावन पाल, सतीश उपाध्याय, माता प्रसाद दूबे, अशोक उपाध्याय, त्रिवेणी तिवारी आदि रहे।
रामलीला का चल रहा मंचन
श्रीहनुमंत रामलीला समिति विदापुर के तत्वाधान में रामलीला के दूसरे दिन अहिल्या उद्धार, धनुष यज्ञ, रावण-बाणासुर संवाद और परशुराम-लक्ष्मण संवाद का भव्य मंचन किया गया। विगत 35 वर्षों से चल रहे इस आयोजन में इस बार भी हजारों दर्शक शामिल हुए। कार्यकर्ता व व्यवस्थापक के तौर पर नीरज मिश्रा, प्रशांत शुक्ला, सुमित पांडेय, जलज पांडेय, अनिल, अखिलेश आदि रहे।