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वकील पूनम का जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त

विशेष न्यायाधीश एससएसटी एक्ट भगवती प्रसाद सक्सेना ने चाकू से घायल कर लूट की घटना कारित करने की आरोपित पूनम द्वारा दिया गया जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त कर दिया। अभियोजन से मुकदमे में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विवेक ¨सह, वरिष्ठ अधिवक्ता बिहारी ¨सह व बैकुंठ त्रिपाठी रहे। जबकि बचाव पक्ष की तरफ अशोक कुमार पांडेय ने बहस की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 08:02 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 08:02 PM (IST)
वकील पूनम का जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त
वकील पूनम का जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट भगवती प्रसाद सक्सेना ने चाकू से घायल कर लूट की घटना कारित करने की आरोपित पूनम द्वारा दिया गया जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त कर दिया। अभियोजन से मुकदमे में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विवेक ¨सह, वरिष्ठ अधिवक्ता बिहारी ¨सह व बैकुंठ त्रिपाठी रहे। जबकि बचाव पक्ष की तरफ अशोक कुमार पांडेय ने बहस की।

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अभियोजन के अनुसार 13 सितंबर 2018 को सुबह 11:30 बजे वादी मुकदमा संचम लाल गुप्ता दीवानी न्यायालय परिसर स्थित हवालात के सामने अपने सीट पर बैठे थे कि आरोपित पूनम दो अन्य व्यक्तियों के साथ मोटर साइकिल से आई। वे सभी गाली देते हुए संचम को मारने लगे तथा पूनम ने अपने हाथ में लिए हुए चाभी के छल्ले में लगे चाकू से मारकर घायल कर दिया तथा जान से मारने की धमकी देते हुए पांच हजार रुपया संचम गुप्ता की जेब से छीन लिया। घटना की प्राथमिकी संचम लाल ने उसी दिन कोतवाली शहर में दर्ज कराया था। बुधवार को इस मामले में दोपहर एक बजे जमानत प्रार्थना पत्र न्यायालय में पेश हुआ जिसमें वादी की तरफ से जमानत सुनवाई से पूर्व आपराधिक इतिहास मंगाने हेतु समय मांगा गया। न्यायालय द्वारा केस डायरी, आघात आख्या के साथ तलब करते हुए भोजनावकाश के बाद दोपहर बाद तीन बजे सुनवाई हेतु पुन: प्रस्तुत हुई। जिस पर न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। जमानत सुनवाई के समय अदालत अधिवक्ताओं से खचाखच भरा था। बहस सुनने के बाद न्यायाधीश ने जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। महिला आयोग की सदस्य तक पहुंचा मामला

एक तरफ कोर्ट में वकील पूनम के जमानत प्रार्थना पत्र पर बहस चल रही थी वहीं दूसरी तरफ कुछ अधिवक्ता इस मसले पर राज्य महिला आयोग की सदस्य अनिता ¨सह से पुलिस की शिकायत कर रहे थे। महिला आयोग की सदस्य ने वकीलों की बात सुनकर कहा कि पुलिस को इस मामले में दोनों पक्षों को गिरफ्तार करना चाहिए था। क्योंकि कोई भी महिला तब तक कोई ऐसा कदम नहीं उठाती, जब तक उसके साथ बुरा बर्ताव नहीं किया जाता। इस पर पुलिस अधिकारियों ने भी अपनी सफाई पेश की।


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