टिशू कल्चर से केले की खेती, किसान हुए समृद्ध
जागरण संवाददाता मीरजापुर विध्य क्षेत्र के किसान गैर परंपरागत खेती को भी खास तवज्जो दे रह
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : विध्य क्षेत्र के किसान गैर परंपरागत खेती को भी खास तवज्जो दे रहे हैं। आय दोगुनी करने के लिए कई किसान टिशू कल्चर से केले की खेती कर रहे हैं। 15 महीने में टिशू कल्चर से पौष्टिक केला तैयार होता है। इस विधि से खेती पर महज ढाई लाख खर्च आता है और सात लाख मुनाफा किसानों को होता है।
टिशू कल्चर जी-9 प्रजाति के केले की खेती से केले की खेती समृद्ध हो रही है। अन्य फसलों की तुलना में केला की अच्छी साबित हो रही है। वर्तमान में सहेंद्र मौर्य निबिया राजगढ़, राधेश्याम सिंह पटेल राजगढ़, अखिलेश्वर पांडेय उत्तरी देवरी, निमिषा सिंह जमालपुर, गुलाब मौर्य और रामपुर अड़तिस के संजय मिश्रा टिशू कल्चर से केले की खेती करके अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का श्रोत बने हुए हैं। टिशू कल्चर से केले की खेती : एक नजर
खेती का समय : 15 महीना
खेती रकबा : 90 हेक्टेअर
वर्तमान लक्ष्य : 150 हेक्टेअर
खेती क्षेत्र : निबिया राजगढ़, ददरा, पटेहरा कला, देवरी कला, जमालपुर, रामपुर अड़तिस।
एक हेक्टेअर : 3500 पेड़
लागत : 2.50 लाख
मुनाफा : 12 लाख
----------- वर्जन
कोविड-19 के चलते घर लौट रहे लोगों के लिए केले की खेती काफी लाभकारी होगी। संक्रमण काल के दौरान महज 15 महीने में केले की खेती कर सकते हैं और आर्थिक रूप से संपन्न हो सकते हैं। ऐसे लोग उद्यान विभाग से संपर्क करके योजना का लाभ उठा सकते हैं।
- मेवाराम, जिला उद्यान अधिकारी
----------- टिशू कल्चर से केले की खेती से लगभग 15 माह में पैदावार होती है। लगभग ढाई लाख खर्च करके 12 लाख रुपए के केला का उत्पादन होता है। इससे किसानों को लगभग सात लाख का मुनाफा होता है। सरकार की मंशानुरूप किसानों की आय दोगुनी हो सकेगी।
- अविनाश सिंह, मुख्य विकास अधिकारी