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गरीबों की गरिमा के वास्ते साधा विरक्ति का रास्ता, कर रहे पथ प्रदर्शन

अपनी गरिमा के साथ ही आम जन की गरिमा, गरीब, पिछड़े और हासिये पर बैठे लोगों की गरिमा के लिए जीवन की धारा ही बदल देना, कठिन कार्य है। लेकिन सीखड़ ब्लॉक के सेवानिवृत्त शिक्षक भवनाथ जिन्होंने अब गंगा को ही गरिमा का प्रेरक मान लिया है,

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 11:49 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:49 PM (IST)
गरीबों की गरिमा के वास्ते साधा विरक्ति का रास्ता, कर रहे पथ प्रदर्शन
गरीबों की गरिमा के वास्ते साधा विरक्ति का रास्ता, कर रहे पथ प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, सीखड़ (मीरजापुर) : अपनी गरिमा के साथ ही आमजन, गरीब, पिछड़े और हासिये पर बैठे लोगों की गरिमा के लिए जीवन की धारा ही बदल देना कठिन कार्य है, लेकिन सीखड़ ब्लाक के सेवानिवृत्त शिक्षक भवनाथ ¨सह ने इसके लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। उन्होंने अब गंगा को ही गरिमा का प्रेरक मान लिया है, वे बेहतर कार्य कर रहे हैं। सिर्फ गरीब बच्चों, महिलाओं, आम लोगों को शिक्षित कर संविधान की जानकारी देकर वे एक बड़े जनसमूह की गरिमा को प्रतिस्थापित करने का काम कर रहे हैं।

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सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त कर चुके भवनाथ ¨सह ने गरीबों की गरिमा के लिए बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। राष्ट्रसेवा की भावना से ओत-प्रोत जनपद के सीखड़ ब्लाक के सीखड़ गांव निवासी भवनाथ ¨सह बसंत पंचमी 2017 के दिन गायत्री महामंत्र के पांच पुनश्चरण (एक पुनश्चरण मे 24 लाख महामंत्र का जप) करने के संकल्प के साथ ही स्वामी भवानंद बन गए। परास्नातक करने के बाद शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र सेवा की धारणा के तहत अपने मूल मंत्र ज्ञान हो विज्ञान हो, ब्रह्म ज्ञान का सार भी हो। भौतिकता में नैतिकता का शुद्ध सरल विचार भी हो, को आत्मसात कर श्री शंकराश्रम महाविद्यापीठ इंटर कॉलेज सीखड़ में बच्चों को अंग्रेजी, ¨हदी, सामाजिक विषय और नैतिक शिक्षा का ज्ञान निश्शुल्क प्रदान करते हैं।

उनका मानना है कि विज्ञान तथा सामाजिक शिक्षा के अलावा आध्यात्मिक ज्ञान भी आवश्यक है, जिससे बच्चों का ¨चतन व चरित्र महान बने। इसके लिए शिक्षा नीति में सुधार के लिए मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय भारत सरकार को भी भेज चुके हैं। उनका मानना है कि बच्चों को संस्कार युक्त शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र के प्रति उनका भावनात्मक लगाव विकसित करते हुए उनके अंदर निहित क्षमताओं का विकास कर राष्ट्र की सच्ची सेवा की जा सकती है और अपने इस मिशन में भवनाथ ¨सह अर्थात स्वामी भवानंद वर्ष 2014 से लगे हैं।

यही नहीं, सीखड़ गंगा घाट पर स्थित अपनी जमीन में खुद के पेंशन से गायत्री मंदिर निर्माण में तल्लीन रहते हुए प्रतिदिन प्रात: योग साधना तथा शाम को आध्यात्मिक व बौद्धिक चर्चा ग्रामवासियों के साथ करते हैं। सीखड़ लालपुर व गोरैया गांवों में प्रतिदिन भोर में रामधुन के साथ प्रभात फेरी करते हुए स्वामी भवानंद को देखा जा सकता है। प्रतिदिन गंगा आरती करने के अलावा पूर्णिमा पर विशेष आरती का भी आयोजन करते हैं। राष्ट्र सेवा के प्रति अपनी सोच को मूर्त रूप देने का 80 वर्षीय भवनाथ ¨सह का जुनून देश प्रेमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।


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