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तेज हवाओं के साथ बारिश से भीगा धान, किसानों की मुसीबत

मवईकला स्थित विपणन केंद्र पर किसानों की खरीदी गई धान को केंद्र में बाहर खुले में रखा गया था। केंद्र प्रभारी द्वारा गुरुवार की शांम ही तिरपाल से धान को ढकवा दिया गया था। वही केंद्र पर हफ्तों से धान बेचने के लिए ट्राली पर धान लेकर पंहुचे किसानों का भी धान बारिश के पानी से भीग गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 07:56 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 07:56 PM (IST)
तेज हवाओं के साथ बारिश से भीगा धान, किसानों की मुसीबत
तेज हवाओं के साथ बारिश से भीगा धान, किसानों की मुसीबत

ड्रमंडगंज (मीरजापुर) : मवईकला स्थित विपणन केंद्र पर किसानों की खरीदी गई धान को केंद्र में बाहर खुले में रखा गया था। केंद्र प्रभारी द्वारा गुरुवार की शांम ही तिरपाल से धान को ढकवा दिया गया था। वही केंद्र पर हफ्तों से धान बेचने के लिए ट्राली पर धान लेकर पंहुचे किसानों का भी धान बारिश के पानी से भीग गया।

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बारिश के चलते किसानों के धान की तौल भी नही हो सकी। केंद्र पर किसानों की खरीदे गए धान के उठान के लिए दस मिलरों को अटैच किया गया है, जिसका उठान हो रहा है। दर्जनों ट्रैक्टर ट्राली पर धान लादकर हप्तों से किसान केंद्र के बाहर खड़ा कर धान की तौल कराने के लिए जुटे हुए हैं। केंद्र पर तीन कांटा लगाकर किसानों की धान नंबर के आधार पर खरीदा जा रहा है। हलिया विकास खंड में किसानों की धान खरीद करने के लिए दर्जनों केंद्र बनाये गए हैं लेकिन खरीद विपणन केंद्र मवईकला पर तेजी के साथ होने से किसान धान को बेचने के लिए विपणन केंद्र पर पंहुच रहे हैं। केंद्र प्रभारी रामकृष्ण दूबे ने बताया कि किसानों की खरीदी गई धान को बारिश से बचाने के लिए गुरुवार की शाभ को ही तिरपाल लगवाकर ढकवा दिया गया था।

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बेमौसम बारिश से किसानों की उपज भीगी, खरीद में होगा विलंब राजगढ़ (मीरजापुर) : क्षेत्र में बारिश होने से किसानों की फसल खराब होने की कगार पर पहुंच गई है। खेतों में पानी भर जाने से गेहूं की फसल काफी नुकसान पहुंच रहा है। बेमौसम बरसात से किसान चितित हो रहे हैं। हर साल बेमौसम बारिश किसानों को काफी क्षति पहुंचा रही है। किसानों का लागत मूल्य नहीं निकल पाता है। खेत और खलिहान में पानी भर गया है रुक-रुक कर हो रही बारिश से किसान ज्यादा परेशान हो रहे हैं। बारिश होने से किसानों का धान खुले आसमान के नीचे पानी में भीग रहा है। किसान प्लास्टिक की बोरी खरीद कर अपने धान की फसल को बचाने में लगे हुए हैं। धान क्रय केंद्र राजगढ़ में खुले आसमान के नीचे लगभग एक दर्जन से ज्यादा ट्रैक्टर ध्यान रखा हुआ है और किसान प्लास्टिक की नेपाल से किसी तरह बचा रहे हैं, अगर खराब होती है तो धान की फसल बिक नहीं पाएगी और आज खरीद भी बंद है। बेमौसम में बारिश होने से मजदूर भी नहीं आए हुए हैं। किसान जगदीश कृष्ण कुमार, मालती देवी ने बताया कि बेमौसम बारिश से धान की फसल को ज्यादा नुकसान हो रहा है। अगर ऐसे ही बारिश होती रही तो खाने के लाले पड़ जाएंगे।

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मौसम के यू टर्न से किसानों के चेहरों पर छाई मायूसी

जमालपुर (मीरजापुर) : क्षेत्र में गुरुवार की रात से शुरू हुई बरसात से किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है। बरसात से किसानों की गाढ़ी कमाई पर पानी फिरता दिखाई पड़ रहा है। किसानों की धान की फसल मड़ाई के लिए खलिहानों मे फैली हुई है। मौसम के अचानक करवट बदलने से किसान सहमे हुए है। किसानों को अपने धान की फसल घर लाने की चिता सता रही है। फसल अवशेष खेतों में नहीं जलाने के शासन के फरमान से किसानों की धान की कटाई का कार्य भी अभी पूरा नहीं हो पाया है। हार्वेस्टिग से धान के फसल की कटाई कराए हुए किसानों के खेतों मे मजदूरों के न मिलने से फसल अवशेषों का अभी भी ढेर लगे हुए है। बरसात होने से पहले से ही पिछड़े गेहूं की बुवाई में और देर होने की संभावना से किसानों का सुख चैन छीन गया है।

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बादल छटने से किसानों ने ली राहत की सांस, ओसाई में जुटे किसान

हलिया (मीरजापुर) : गुरुवार रात को गरज चमक के साथ शुरू हुई क्षेत्र में बूंदाबांदी रात भर चलती रही। शुक्रवार सुबह भी बारिश होने से खलिहानों में रखी धान की फसल बारिश के चलते भीग गई। शुक्रवार दोपहर आसमान में बादल छंटने से तथा धूप निकलने से किसानों को राहत मिली। किसान खलिहानों में पड़े धान के गट्ठर को सुखाने के लिए उलटने पलटने लगे रहे। पहले से मड़ाई की गई धान की ओसाई में किसान परिजनों सहित जुटे रहे। धान को सुरक्षित घरों में पहुंचाने की जुगत में लगे रहे। बारिश के चलते क्षेत्र के किसानों की धान की फसलों के भीगने से तीन चार दिनों तक मड़ाई कार्य बाधित हो गया है। किसानों को धान की फसल को काली पड़ने व भीगने के चलते खराब होने की चिता सताने लगी है।

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तिलहनी फसल के लिए बारिश वरदान

किसान दया शंकर मिश्र, राजेंद्र प्रसाद, लालबहादुर व अशोक सिंह ने बताया कि इस बारिश से किसानों की खलिहानों में पड़ी धान की फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन बारिश दलहनी तथा तिलहनी फसलों के लिए वरदान है। बारिश की वजह से तापमान में गिरावट आई है तथा गलन बढ़ गई है।


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