ऑनलाइन ठगी बचाएगा पुलिस का साइबर दोस्त
नववर्ष आनलाइन शा¨पग, आनलाइन चै¨टग या सोशल मीडिया पर अपनी खुशियां जाहिर करने के बाद कई लोग साइबर क्राइम के शिकार बन जाते हैं। इसमें नई कार, नई बाइक, करोड़ों की लाटरी जैसे आफर से लोग आनलाइन ठगों के मोहपाश में फंस जाते हैं। धीरे-धीरे ठग अपने शिकार की गाढ़ी लुटने लगते हैं। जब तक उन्हें ठगी का अहसास होता है तब तक बहुत देर हो जाती है। पुलिस भी अक्सर ऐसे आनलाइन ठगों को पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाती। लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया ट्विटर हैंडल 'साइबर दोस्त' ऐसे लोगों की मदद करेगा और शिकायत मिलते ही स्थानीय पुलिस सक्रिय हो जाएगी।
मनोज द्विवेदी, मीरजापुर :
नववर्ष ऑनलाइन शा¨पग, चै¨टग या सोशल मीडिया पर अपनी खुशियां जाहिर करने के बाद कई लोग साइबर क्राइम के शिकार बन जाते हैं। इसमें नई कार, नई बाइक, करोड़ों की लाटरी जैसे आफर से लोग ऑनलाइन ठगों के मोहपाश में फंस जाते हैं। धीरे-धीरे ठग अपने शिकार की गाढ़ी लुटने लगते हैं। जब तक उन्हें ठगी का अहसास होता है तब तक बहुत देर हो जाती है। पुलिस भी अक्सर ऐसे ऑनलाइन ठगों को पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाती। लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया ट्विटर हैंडल 'साइबर दोस्त' ऐसे लोगों की मदद करेगा और शिकायत मिलते ही स्थानीय पुलिस सक्रिय हो जाएगी।
जनपद में बीते एक वर्ष में ऑनलाइन ठगी के 68 मामले आए जिनमें से 44 पर जांच की गई और शेष मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। साइबर क्राइम के मामलों में स्थानीय पुलिस कामयाब नहीं हो पाती क्योंकि इसके लिए तकनीकी जानकारी का अभाव भी एक बड़ा कारण है। जनपद के ज्यादातर साइबर क्राइम के मामलों को साइबर क्राइम ब्रांच लखनऊ द्वारा हैंडल किया जाता है। हालात तो यहां तक खराब हैं कि साइबर क्राइम के मामलों की एफआइआर थाने में भी दर्ज नहीं हो पाती और पीड़ित अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते रहते हैं। हाल ही में वासलीगंज निवासी एक युवती को इंटरनेट पर नई कार का आफर देकर करीब 22 हजार रूपये की ठगी की गई। इस मामले में पुलिस ने काफी हो-हल्ला मचने के बाद मुकदमा दर्ज किया लेकिन अभी तक पुलिस ठगों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। इसी तरह आनलाइन ठगी के कई मामले हर महीने दर्ज किए जाते हैं लेकिन नतीजा सिफर निकलता है। साइबर बु¨लग पर लगेगी लगाम
जनपद में इंटरनेट यूजर्स की संख्या इस समय पांच लाख पार कर गई है। सोशल मीडिया पर रोजाना लाखों तस्वीरें, कमेंट भेजे जा रहे हैं जिसका गलत इस्तेमाल भी किया जाता है। साइबर क्राइम के एक्सपर्ट आम लोगों, महिलाओं की तस्वीरों को माध्यम बनाकर उन्हें सार्वजनिक करने, बदनाम करने की धमकी देते हैं। इसे ही इंटरनेट की भाषा में साइबर बु¨लग कहा जाता है। पुलिस द्वारा जारी किया गया साइबर दोस्त ऐसे मामलों को भी तत्परता से हल करेगा और इस तरह के अपराध में लिप्त लोगों को पकड़ा जाएगा। कैसे काम करेगा साइबर दोस्त
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ट्विटर हैंडल पर जाकर आनलाइन ठगी, फ्राड, धोखाधड़ी, ब्लैकमे¨लग आदि अपराध की शिकायत की जा सकती है। इस पर मिलने वाली शिकायत को लोकल साइबर क्राइम यूनिट को हैंडओवर की जाती है। यदि अपराधी बाहर का है तो सभी संबंधित प्वाइंट्स को इस केस से जोड़ दिया जाता है और अपराधी कहीं से भी ऐसे क्राइम को अंजाम दे रहा हो, वह पकड़ा जाएगा। इस तरह से साइबर दोस्त शिकायतकर्ता की निजता का भी ध्यान रखता है और तथ्य बिना सार्वजनिक किए शिकायत का समाधान किया जाता है। जनपद में इंटरनेट यूजर्स के आंकड़े
इंटरनेट यूजर्स संख्या- पांच लाख से ज्यादा
सोशल मीडिया पर सक्रिया- 3.5 लाख
साइबर क्राइम के शिकार 2018- 68 केस
साइबर क्राइम का निस्तारण- 44 केस
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'इंटरनेट की बढ़ती उपयोगिता की वजह से साइबर क्राइम के मामले भी बढ़े हैं। नववर्ष पर तो और केस सामने आते हैं। ऐसे में साइबर दोस्त युवाओं के लिए काफी कारगर है और इसका प्रयोग करना काफी आसान है।'
- विपिन कुमार मिश्र, पुलिस अधीक्षक, मीरजापुर