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स्टाफ की कमी से जूझ रहा अग्निशमन दस्ता

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जनपद का अग्निशमन विभाग संसाधनों के साथ ही पर्याप्त स्टाफ की कमी से जूझ र

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 06:41 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 06:41 PM (IST)
स्टाफ की कमी से जूझ रहा अग्निशमन दस्ता
स्टाफ की कमी से जूझ रहा अग्निशमन दस्ता

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जनपद का अग्निशमन विभाग संसाधनों के साथ ही पर्याप्त स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। केंद्र पर जहां 25 फायरमैन का पद स्वीकृत है, वहीं मात्र 16 की नियुक्ति हुई है। इनमें से भी ज्यादातर फायरमैन कुंभ की ड्यूटी में तैनात हैं और जो बचे हैं वे सरकारी आयोजनों के समय ला एंड आर्डर की ड्यूटी में लगे रहते हैं। हालात यह है कि एक साथ दो जगह भी आग लग जाए तो दोनों जगहों पर फायरकर्मी नहीं पहुंच सकते। इसके अलावा जनपद में आधुनिक फायर मशीनों, वाहनों की भी कमी है।

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25 लाख आबादी, 25 फायरकर्मी

जिले की आबादी 25 लाख से ऊपर है लेकिन मात्र 25 फायरकर्मियों की नियुक्ति की गई है। इस समय नौ फायरकर्मियों की जगह रिक्त चल रही है। वहीं चार ड्राइवर में से तीन उपलब्ध हैं। वर्तमान में जिले में एक एफएसओ, दो एफएसएसओ का पद है जिसमें एफएसएसओ के एक ही पद पर नियुक्ति की गई है। फायरकर्मियों ने बताया कि वर्तमान में तो मात्र गार्ड के सहारे विभाग चल रहा है क्योंकि ज्यादातर फायरकर्मियों की ड्यूटी कुंभ मेले में लगाई गई है। जहां तक संसाधनों की बात है कि तो जनपद में फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियां हैं जिनमें से एक ही चलती है। दो छोटी गाड़ियां हैं, फायर एक्स¨टग्यूशर, होजरील उपलब्ध है। जिले में आग लगने की ऐसी बड़ी वारदात नहीं होती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से अगलगी की घटनाएं ज्यादा आती हैं। फायरकर्मियों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचते -पहुंचते अक्सर आग बुझ जाती है। पानी के लिए जनपद मुख्यालय पर ही टंकी बनाई गई है जहां से पानी लेकर गाड़ियां मौके पर पहुंचती हैं।

हाइड्रेंट तक की सुविधा नहीं

बड़े शहरों की तरह जनपद में हाइड्रेंट की सुविधा नहीं है। ऐसे प्वाइंट भी नहीं बनाए गए जहां पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आपातकाल में लाइन जोड़कर पानी ले सकें। दुबारा पानी लेने के लिए मुख्यालय ही आना पड़ता है। फायरकर्मियों के अनुसार नगर क्षेत्र की सड़कें भी इतनी चौड़ी नहीं हैं कि बड़ी गाड़ी मौके पर पहुंच सके। ग्रामीण इलाकों में भी ¨सगल लेन की सड़क पर बड़ी गाड़ी जाने में दिक्कत होती है। यहां कम से कम चार प्रेशर मशीनों से युक्त छोटी गाड़ियों की आवश्यकता है जो शहर की गलियों तक पहुंच सकें।

हाइड्रोलिक सीढ़ी भी नहीं

उंची इमारतों में लगी आग को बुझाने के लिए हाइड्रोलिक सीढ़ी का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन जनपद में एक भी हाइड्रोलिक सीढ़ी उपलब्ध नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि अपने जनपद में हाइराइज इमारतें नहीं बनी है जिसकी वजह से इसकी जरुरत नहीं पड़ती लेकिन अब ऐसी इमारतें, माल, शा¨पग सेंटर, शिक्षण संस्थान बन रहे हैं, हाइड्रोलिक सीढ़ी की जरूरत है।

सिर्फ खानापूर्ति बनी एनओसी

जनपद में खुलने वाले शा¨पग माल, शिक्षण संस्थान या अन्य सरकारी, गैर सरकारी वाणिज्यिक भवनों के लिए विभाग द्वारा एनओसी जारी की जाती है। लेकिन सूत्रों की मानें तो एनओसी जारी करने के नाम पर सिर्फ वसूली की जाती है और स्थलीय निरीक्षण न के बराबर होता है। कई संस्थानों की एनओसी का नवीनीकरण भी नहीं कराया जाता। जिले में सुरक्षा मानकों का कोई पालन नहीं किया जाता।

फायर स्टाफ व संसाधन

- एफएसओ का एक पद

- एफएसएसओ का एक पद रिक्त

- फायरमैन के नौ पद रिक्त

- फायर गाड़ी मात्र तीन

- प्रेशर मशीन मात्र दो

- फायर एक्स¨टग्यूशर मात्र एक

- होजारील की संख्या दो

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लोगों ने कहा

'आग से बचाव के कोई संसाधन उपलब्ध नहीं हैं और कहीं कोई घटना हो जाए तो फायर ब्रिग्रेड ही एकमात्र सहारा है।'

-इरफान अहमद 'हर दुकान, संस्थान या सरकारी विभागों में फायर सेफ्टी के नाम पर लाल रंग का डिब्बा लगा दिया जाता है लेकिन इसकी कभी जांच नहीं होती।'

- मोहम्मद आसिफ 'फायर सेफ्टी के सभी मानकों को पूरा करना चाहिए। इसके साथ ही विभाग को भी समय-समय पर इसकी जांच पड़ताल करनी चाहिए।'

- राजू अग्रवाल 'आग से बचाव के पर्याप्त उपाय नहीं अपनाए जाते हैं। जब कोई घटना हो जाए तो थोड़ी बहुत सक्रियता दिखती है।'

- राजकुमार चौरसिया 'आम लोगों को भी आग से बचाव की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि आपात स्थिति में काम आ सके। '

- महेश सोनकर 'आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए लोगों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। विभाग पर ही सब नहीं छोड़ा जाना चाहिए।'

- अनिल अग्रवाल


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