अब शिक्षा ऋण नीति में परिवर्तन की उठी मांग
जागरण संवाददाता लालगंज (मीरजापुर) नई कृषि व शिक्षा नीति के बाद अब अभिभावक शिक्षा ऋण नी
जागरण संवाददाता, लालगंज (मीरजापुर) : नई कृषि व शिक्षा नीति के बाद अब अभिभावक शिक्षा ऋण नीति में परिवर्तन की मांग करने लगे हैं क्योंकि बैंकों के शिक्षा ऋण का ब्याज वाहन ऋण से भी महंगा है़। इससे अभिभावकों को गुणवत्तायुक्त और उच्च शिक्षा मुहैया कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
उपरौध के लालगंज क्षेत्र में शिक्षा ऋण नीति की जोरदार चर्चा शुरू हो चुकी है। जब से कृर्षि नीति आई है तब से अभिभावकों ने शिक्षा ऋण नीति में परिवर्तन किए जाने की मांग कर रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि देश की भविष्य बनाने वाली शिक्षा ऋण वाहन ऋण से भी महंगी है। गरीब किसान व श्रमिकों ने शिक्षा ऋण नीति में संशोधन किए जाने की मांग की। कहा कि शिक्षा ऋण वाहन ऋण से कम होना चाहिए। इस नीति में संशोधन किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि किसान आर्थिक स्थिति में कमजोर होता है। इसके कारण वह कर्ज में उलझा रहता है। - बोले अभिभावक
शिक्षा सर्वांगीण विकास का आधार है। शिक्षा ऋण का ब्याज अधिक होने के कारण उच्च शिक्षा गरीबों के लिए कठिन है। शिक्षा ऋण नीति में परिवर्तन की आवश्यकता है।
- अनिल कुमार त्रिपाठी।
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बैंक से लिए गए शिक्षा ऋण शिक्षा में सहायक तो साबित होता है लेकिन उसका ब्याज दर भरना किसानों के लिए मुसीबत जैसा है। इसमें परिवर्तन होना बहुत आवश्यक है।
- किसान लालचंद।
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ब्याज दर पढ़े लिखे नौजवान छात्रों को परेशान करने वाला और चिता पैदा करने वाला एक दबाव युक्त नीति है। इसके कारण मानसिक रूप से स्वतंत्र शिक्षा ग्रहण करने में उन्हें संघर्ष करना पड़ता है। शिक्षा ऋण निति में बदलाव आवश्यक है।
- जयशंकर तिवारी।
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शिक्षा ऋण एक प्रकार से बच्चों पर दबाव बनाने जैसा है, क्योंकि उसका ब्याज दर बेरोजगारी के हालत में भरना अभिभावकों के साथ उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले नौजवान को भी परेशान करने वाला साबित होता है।
- डब्बू सिंह।
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भूमिहीनों को शिक्षा ऋण भरना एक समस्या जैसा है। डिग्रीधारी को नौकरी नहीं मिलने की हालत में शिक्षा ऋण दर बेहद क्षुब्ध करने वाला और चिता पैदा करने वाला साबित होता है।
- ज्ञानेंद्र त्रिपाठी।
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शिक्षा ऋण में ब्याज, कार लोन से कम होना चाहिए, क्योंकि कार लोन लोग सुख-सुविधा के लिए कराते हैं। जबकि शिक्षा ऋण जीवन भविष्य से जुड़ा मामला है।
- अजिजुल्लाह खां।