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एक क्लिक पर स्टेशन मास्टर ही बदल सकेंगे रेलवे ट्रैक

जागरण संवाददाता मीरजापुर चुनार-सोनभद्र रेल लाइन पर स्थित लूसा व खैराही रेलवे स्टेशन के

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 04:40 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 10:10 PM (IST)
एक क्लिक पर स्टेशन मास्टर ही बदल सकेंगे रेलवे ट्रैक
एक क्लिक पर स्टेशन मास्टर ही बदल सकेंगे रेलवे ट्रैक

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : चुनार-सोनभद्र रेल लाइन पर स्थित लूसा व खैराही रेलवे स्टेशन के ट्रैक को अब एक सेकेंड में ही स्टेशन मास्टर अपने कक्ष से ही बदल लेंगे। इसके लिए बस उनको अपने सामने मौजूद डिस्प्ले पर माउस से क्लिक करना होगा। इसके बाद आटोमैटिक सिग्नल अपने आप बदल जाएगा। इसके पहले प्वाइंटस मैन का सहारा लेना पड़ता था, जो ट्रेन आने पर लीवर खींचकर ट्रैक बदलते थे। इसके लिए रेलवे ने इलेक्ट्रानिक इंटर लाकिग कार्य शुरू करा दिया है, जो मई माह तक पूरा होने की संभावना है।

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नार्थ सेंट्रल रेलवे प्रोजेक्ट कांट्रेक्ट यूनिट ने 40 श्रमिक व 10-15 इंजीनियर के साथ अगस्त 2020 में लूसा व खैराही स्टेशन पर एक साथ सिग्नलिग का कार्य शुरू कराया था। इन दोनों स्टेशन पर तीन-तीन लाइन है। ट्रेनों के आवागमन के दौरान रूट बदलने के लिए प्वाइंटस मैन की ओर से रेलवे लाइन किनारे लगे लीवर को खींचना पड़ता है। इससे काफी दिक्कतों के साथ परेशानी झेलनी पड़ती थी, लेकिन जल्द ही इससे निजात मिलेगी और स्टेशन मास्टर अपने कक्ष से ही कंप्यूटर के जरिए रूट के सिग्नल को बदलेंगे। इलेक्ट्रानिक इंटर लाकिग कार्य पूरा होने के बाद लूसा व खैराही स्टेशन से गुजरने वाले मालगाड़ी व सवारी ट्रेनों में देरी नहीं होगी और उनकी रफ्तार भी बढ़ जाएगी। इसके पूर्व रेलवे को काफी नुकसान होता था और समय भी बर्बाद होता था, लेकिन अब इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग कार्य पूरा होने के बाद इन दोनों से निजात मिलेगी। इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग के लिए लगी (यूएफएसबीआइ) मशीन

चुनार-सोनभद्र मार्ग पर लूसा व खैराही रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रानिक इंटर लाकिग कार्य के लिए ट्रैक मरम्मत के साथ ही यूनिवर्सल फेल सेफ ब्लाक इंस्ट्रूमेंट (यूएफएसबीआइ) मशीनों को बैठा दिया गया है। इसके लिए इंजीनियर की ओर से प्वाइंट को फीट किया जा रहा है जिससे ट्रेनों के आवागमन के दौरान कोई परेशानी न होने पाए।

वर्जन

इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग का कार्य कराया जा रहा है। कार्य मई के अंत तक पूरा होने की संभावना है। इसके बाद ट्रैक बदलने में कोई परेशानी नहीं होगी और ट्रेनों के आवागमन में देरी भी नहीं होगी।

उमेश पडलिया, अस्टिटेंट डिवीजन सिग्नल एंड टेलीकाम इंजीनियर रेलवे।


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