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अंत्येष्टि स्थल पर शौचालय, मार्ग व प्रकाश की व्यवस्था नहीं

जागरण संवाददाता चुनार (मीरजापुर) नगर पालिका परिषद की ओर से बहरामगंज के कोल्हुआ घ

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 05:36 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 05:36 PM (IST)
अंत्येष्टि स्थल पर शौचालय, मार्ग व प्रकाश की व्यवस्था नहीं
अंत्येष्टि स्थल पर शौचालय, मार्ग व प्रकाश की व्यवस्था नहीं

जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : नगर पालिका परिषद की ओर से बहरामगंज के कोल्हुआ घाट पर अंत्येष्टि स्थल विकास योजना से बनाया गया शवदाह करने वालों के लिए काफी सुविधाजनक है। हालांकि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए जा रहे शौचालय का काम अधूरा होने से यहां आने वालों को परेशानी होती है। मार्ग व प्रकाश व्यवस्था सु²ढ़ न होने से रात में अंधेरा होने के बाद लोगों को प्रकाश के लिए अपनी व्यवस्था करनी पड़ती है। यहां लकड़ी विक्रय के लिए बनाया गया कमरा भी अभी आवंटन की बाट जोह रहा है। निर्माण के पहले यहां गंगा तट पर शवदाह होता था। अंत्येष्टि स्थल का निर्माण होने के बाद राजगढ़ ब्लाक के दर्जनों गांवों समेत इलाके से सटे सोनभद्र के कुछ गांवों के लोग भी मृत्यु के बाद स्वजनों का अंतिम संस्कार करने यहां आते हैं।

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अधिशासी अधिकारी प्रतिभा सिंह ने बताया कि वर्ष 2014-15 में अंत्येष्टि स्थल विकास योजना के तहत यहां अंत्येष्टि स्थल का निर्माण की योजना स्वीकृत हुई थी। दो करोड़ चार लाख रुपये खर्च कर तैयार हुए अंत्येष्टि स्थल ने मूर्त रूप लिया तो यहां गंगा तट पर होने वाले दाह संस्कार अब लोहे के बनाए गए प्लेटफार्मों पर होने लगे। इससे गंगा में लगातार हो रहे प्रदूषण पर थोड़ी लगाम लगी। वहीं यहां पर बनाए गए टीन शेड और यात्री विश्राम स्थल भी लोगों के लिए मुफीद साबित हो रहे हैं। अंत्येष्टि स्थल के विकास के लिए घाट का निर्माण, घाट तक जाने के लिए सीढि़यों का निर्माण, बाढ़ के दिनों में अंत्येष्टि स्थल के लिए टीनशेड युक्त प्लेटफार्म, बैठने का स्थान, पेयजल व्यवस्था के लिए हैंडपंप, आने-जाने का रास्ता, लकड़ी विक्रय स्थल के लिए एक कमरा बनाया गया है। वहीं लोगों के बैठने के लिए यहां छायादार विशाल वृक्षों के नीचे सीमेंट के बेंच और प्लेटफार्म भी बनाए गए हैं। मार्ग, प्रकाश व शौचालय की व्यवस्था न होने से परेशानी अभी यहां तक पहुंचने के लिए रास्ते पर मार्ग व प्रकाश की समुचित व्यवस्था न होने के कारण शाम को अंधेरा होने के बाद शव यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं शौचालय की समुचित व्यवस्था न होने से भी यहां आने वाले असुविधा झेलते हैं और लघुशंका के लिए इन्हें खुले में जाना पड़ता है। हालांकि यहां स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा था, लेकिन कोरोना काल में बजट के अभाव में वह भी अधर में लटक गया। दर्जनों गांव के शवों को यहां मिलती है मुक्ति

चुनार नगर के अधिकांश लोग काशी की मान्यता होने के कारण अपने स्वजनों की मृत्यु के पश्चात् मेड़िया घाट स्थित श्मशान स्थल पर उनका अंतिम संस्कार करते हैं। वहीं हाईवे के नजदीक स्टेशन के पास स्थित कोल्हुआ घाट पर बनाए गए इस अंत्येष्टि स्थल पर प्राय: नगर के स्टेशन इलाके के मुहल्लों समेत समसपुर, धौरहरा, भौरहीं, बल्लीपुर, धौहां, भेड़ी, कुसुम्हीं व विकास खंड राजगढ़ के दर्जनों गांवों के लोग यहां मृत्यु के बाद अपने स्वजनों की अंत्येष्टि के लिए आते हैं। वहीं यहां बनाए गए लकड़ी विक्रय स्थल का आवंटन भी अभी बाकी है। वर्जन अंत्येष्टि स्थल विकास योजना के तहत इसी वर्ष कोल्हुआ घाट पर अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कार्य पूरा हुआ है। हालांकि पूर्व में भी यहां शवदाह किए जाते थे, लेकिन गंगा में हो रहे प्रदूषण को रोकने के ²ष्टि से इसका निर्माण कराया गया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाया जा रहा शौचालय अभी निर्माणाधीन है। बजट आने पर उसका निर्माण शीघ्र करा दिया जाएगा।

- प्रतिभा सिंह, ईओ, नगर पालिका परिषद, चुनार।


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