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नीम व चेरुल के वृक्ष बने पूजनीय

जासं लालगंज(मीरजापुर): उपरौध क्षेत्र में भर्रोह गांव के हनुमान मंदिर परिसर में स्थित चेरुल व नीम के

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 11:21 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:21 PM (IST)
नीम व चेरुल के वृक्ष बने पूजनीय
नीम व चेरुल के वृक्ष बने पूजनीय

जासं लालगंज(मीरजापुर): उपरौध क्षेत्र में भर्रोह गांव के हनुमान मंदिर परिसर में स्थित चेरुल व नीम के विशालकाय वृक्ष पूज्यमान बने हुए हैं। कहा जाता है कि यह वृक्ष मुगलकाल में मंदिर ध्वंस के चश्मदीद गवाह हैं। ग्रामीण प्रत्येक मंगलवार को हलुवा रोट चढ़ाकर तथा सत्यनारायण भगवान की कथा दोनो वृक्षो के नीचे कर आध्यात्मिक लक्ष्य प्राप्त करते है।

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नीम की विशाल काय डाली हुनुमान की पूंछ की तरह लपेटने के कारण किदवंती बन चुकी है। भक्तों की नजर में ये वृक्ष हनुमान की कृपा के कारण विशाल बने हु्ए हैं। आधी व तूफान भी इन वृक्षों का बाल भी बांका नहीं कर सकी। श्रावण मास लगते ही दोनो पेड़ छतरी की भांति भक्तों के लिए शरण स्थलीय बने रहते है। दोनो वृक्षों के नीचे स्थित हनुमान जी का मंदिर सिद्ध माना जाता है। विवाह न होने की दशा में माना जाता है कि हनुमान की पांच मंगलवार तक दर्शन करने से लाभ मिलता है। मंदिर में आने- जाने वालों के लिए ये दोनों पेड़ साये का काम करते हैं। इस परिसर में मंदिर पर दर्शन करने क्षेत्र के दोनो ब्लाक हलिया व लालगंज के श्रद्धालु श्रावण मास में पूजन कर शांति प्राप्त करते है। पेड़ों के नीचे खास मेला होली के त्योहार के समय होता है। होली वाले दिन क्षेत्र के फाग गीत गाने वाले कलाकारों का जमघट लगता है। जिसे सुनने के लिए दूर दराज गांव के हर उम्र के लोग अबीर गुलाल के साथ गले मिलते है। यह परंपरा पीढी दर पीढी से चली आरही है। गांव के बुजूर्ग मिश्रीलाल व लल्ला पांडेय का कहना है की इन वृक्षों की उम्र लगभग दो सौ वर्ष की होगी। उन्होंने बताया कि मुगल काल में इस हनुमान मंदिर को तोड़ दिया गया था। जिसका अवशेष आज भी मौजूद है। मंदिर का जीर्णोद्धार लालगंज के हरिदास जायसवाल ने कराया था। इस लिए दोनो वृक्षों की सही उम्र इसी से आंकी जा रही है।


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