एनडीए का मजबूत सहयोगी बना अपना दल
अशोक सिंह वाराणसी इस चुनाव में कुर्मी वोट की बहुलता वाले क्षेत्रों में भाजपा की अच्छी जी
अशोक सिंह, वाराणसी :
इस चुनाव में कुर्मी वोट की बहुलता वाले क्षेत्रों में भाजपा की अच्छी जीत की एक वजह अपना दल (सोनेलाल) के वोट बैंक को भी माना जा रहा है। अपना दल एस की मुखिया और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने न सिर्फ अपने खाते की दोनों सीटों का जीता बल्कि अपने बेस वोट को भाजपा को ट्रासफर कराने में भी सफल रहीं। इतना ही नहीं अपना दल के प्रतापगढ़ से विधायक संगम लाल गुप्ता को अपने कमल निशान पर सांसद बनाने में सफल रहे।
एनडीए को मजबूत करने में अपना दल का सहयोग रहा इसे स्पष्ट रूप से देखा गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली से कड़े मुकाबल में विजयी हुए। इसमें वाराणसी की शिवपुर और अजगरा विधानसभा सीट का योगदान माना जा रहा है। इन दो सीटों में अपना दल का काफी प्रभाव है। मतगणना में भी देखने को मिला इन दो विधानसभाओं में भाजपा को अच्छी बढ़त भी मिली। इसी प्रकार से मछलीशहर सीट पर मात्र 181 मतों से विजय हासिल करने में अपना दल का वोट ट्रांसफर माना जा रहा है। इसमें आने वाली पिंडरा विधानसभा में पार्टी का विशेष प्रभाव है। इसी प्रकार इलाहाबाद, भदोही, फूलपुर, बलिया, सुल्तानपुर में सहयोग मिला। अपना दल के नौ विधायक भी अपने-अपने क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में लगे रहे। इनके क्षेत्रों में भी भाजपा को अच्छा सहयोग मिला। डेढ़ दर्जन जिलों में है विशेष प्रभाव
सोनेलाल पटेल ने बसपा से अलग होकर अपना दल का गठन किया। पार्टी पहली बार 1996 में प्रदेश में 155 प्रत्याशी मैदान में उतारे और .77 फीसद वोट लेकर सभी को चौंका दिया। कहा जाता है कि प्रदेश के डेढ़ दर्जन से अधिक जिलो में पटेल विरादरी का बाहुल्य है जो चुनावों में जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बताया जाता है कि प्रदेश में आठ से 10 फीसद पटेल बिरादरी है। प्रदेश में वाराणसी, मीरजापुर, जौनपुर, गोंडा, फतेहपुर, कौशाबी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, फैजाबाद, बाराबंकी, सुलतानपुर, कानपुर, फर्रूखाबाद, फतेहपुर, उरई, जालौन, बांदा, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर, आजमगढ़, बलिया, मऊ, गोरखपुर, बस्ती, सिद्र्धाथनगर आदि जिलों में पटेलों की बहुलता है। शामिल है। चुनाव पूर्व मनमुटाव को भाजपा ने कर लिया था दूर
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा और अपना दल में मनमुटाव आ गया था। एक बार तो अद प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने भाजपा से अलग होने की चेतावनी भी दे दिया था। भाजपा ने समय रहते अपना दल की अहमियत को समझा। एनडीए सरकार में मंत्री की चेतावनी को दरकिनार कर मामले को शांत किया। अद को मीरजापुर और राबर्ट्सगंज सीट को देकर विवाद को समाप्त कर दिया। इतना ही नहीं अपना दल से 2014 में प्रतापगढ़ से जीते कुंवर हरिवंश सिंह के स्थान पर अपना दल के ही विधायक को भाजपा ने अपने सिंबल पर उतार दिया। संगम लाल गुप्ता 434222 वोट पाकर अपने प्रतिद्वंदी बसपा के अशोक त्रिपाठी को एक लाख 77 हजार 589 मतों से पराजित किया। निश्चित रूप से भाजपा को अद का साथ लाभकारी रहा।