आवास विकास कालोनी को छोड़ नगर की अधिकांश कालोनियां अवैध
नगर की एक कालोनी को छोड़ दी जाए तो अधिकांश कालोनिया अवैध रूप से निर्माण हुई है। मानकों को ताकपर रखरकर जमीनों की तेजी से प्लाटिग कर रहे प्लाटर लोगों को जमीन की बिक्री कर कमाई करने में लगे हुए है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : नगर की एक कालोनी को छोड़ दी जाए तो अधिकांश कालोनियां अवैध रूप से निर्माण हुई है। मानकों को ताकपर रखरकर जमीनों की तेजी से प्लाटिग कर रहे प्लाटर लोगों को जमीन की बिक्री कर कमाई करने में लगे हुए है। वहीं नगर विकास प्राधिकरण भी इन पर रोक लगाने की बजाय कालोनियों के बनाने में सहयोग प्रदान करते हुए मकान के नक्शे को धड़ाधड़ा पास कर रहा है। यहीं नहीं कुछ कालोनिया तो तालाबों आबादी की जमीनों को कब्जा कर बनाई गई है।
नगर में पिछले कुछ सालों से प्लाटरों द्वारा काफी कम कीमत में जमीन खरीदकर उसे प्लाटिग कर लोगों के हाथों मोटी कीमत पर बेचकर कालोनियों का निर्माण कराया जा रहा है। प्लाटर लोगों से वैध कालोलियों में दी जाने वाली सुविधाओं के आधार पर तो उनसे पैसे ले रहे हैं लेकिन उन्हें मानक के अनुरूप दी जाने वाली सुविधाएं मुहैया नहीं करा रहे हैं। इसके चलते मकान के लिए लाखों खर्च कर जमीन खरीदने वाले ग्राहकों को जरुरी सुविधाओं पाने के लिए हजारों रुपये और खर्च करने पड़ रहे हैं। खुलेआम लोगों को लूटने वाले इन प्लाटरों पर न तो जिला प्रशासन की निगाहें जा रही हैं न ही विकास प्राधिकरण की। यहीं कारण है ये लोगों को धड़ाधड़ जमीने बेचने में लगे हुए हैं। विकास प्राधिकरण भी इन कालोनियों को वैध नहीं मान रहा है। लेकिन उनका कहना है कि जो मकान बने है अगर उनका नक्शा बना है तो वे वैध है।
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नगरीय क्षेत्र में अबतक लगभग 50 कालोनियों का निर्माण हुआ है। इसमें शुक्लहा स्थित आवास विकास, भरूहना में विध्यवासिनी कालोनी, लक्ष्मणपुरम कालोनी, बैंक कालोनी, अनगढ़ रोड कृष्णपुरम कालोनी, रमईपटटी में विध्यपुरी कालोनी, विध्यनगर कालोनी, लोहिया तालाब, जोगियाबारी, नटवां, अर्जुनपुर, धौरूपुर, राजपुर, राजापुर, इमामबाड़ा, विसुंदरपुर, बरौधा कचार, मुहकुंचवा, बथुआ, लोहदी कला, सबरी रोड, तरकापुर आदि दो दर्जन स्थानों पर कालोनियों का निर्माण किया गया है। इनमें से आवास विकास कालोनी को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कालेनियों के निर्माण के समय मानकों को पूरा नहीं किया गया है। प्लाटरों ने भी रोकटोक नहीं होने पर मनमाने तरीके से लोगों को जमीनों की प्लांटिग कर पैसा तो ले लिया। उपभोक्ताओे से लाखों रुपये लेने के बावजूद उनको कालोनी की सुविधा प्रदान नहीं की। इसके चलते इन कालोनियों में निर्माण के समय न तो वहां बिजली, न नाली, न सड़क न ही पानी की समुचित व्ववस्था थी। सीवर भी नहीं होने के कारण कालोनियों के पानी नहीं निकल पा रह हैं।
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ये हैं कालोनियों के मानक
एक कालोनी का निर्माण किए जाते समय उसमें सारी सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। मसलन कालोनी में लोगों के टहलने या बैठने के लिए पार्क हो, पेयजल की बेहतर सुविधा हो, नाली का निर्माण हो, बिजली की व्यवस्था हो, बच्चों को खेलने के लिए खेल का मैदान हो।
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नगर की कालोनिया मानक के अनुरूप नहीं है। इसलिए वह अवैध हो सकती है लेकिन उनमे बने मकानों के अगर नक्शे पास हैं तो वे वैध है। जिन लोगों ने अवैध कालोनियों का निर्माण कराया है उनपर कार्रवाई हो सकती है।
-प्रभू दयाल, अवर अभियंता विध्य विकास प्राधिकरण।