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प्रवासी पक्षियों के कलरव बीच जलधारा में भोलेबाबा का दर्शन

¨वध्याचल मंदिर के पास गंगा की बीच जलधारा में गंगेश्वर महादेव न सिर्फ श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं बल्कि लाखों सैलानियों के लिए अछ्वुत आनंद के साक्षी भी। दिसंबर-जनवरी के मध्य यहां दो से पांच हजार किमी. का सफर तय कर प्रवासी साइबेरियन पक्षियों का झुंड पहुंचता है और शिव¨लग के आसपास मंडरा कर भोलेनाथ के दरबार में अपनी हाजिरी लगाता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 06:22 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 11:50 PM (IST)
प्रवासी पक्षियों के कलरव बीच जलधारा में भोलेबाबा का दर्शन
प्रवासी पक्षियों के कलरव बीच जलधारा में भोलेबाबा का दर्शन

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : ¨वध्याचल मंदिर के पास गंगा की बीच जलधारा में गंगेश्वर महादेव न सिर्फ श्रद्धालुओं की आस्था का न सिर्फ केंद्र बना हैं बल्कि लाखों सैलानियों के लिए अद्भुत आनंद का साक्षी भी। दिसंबर-जनवरी के मध्य यहां दो से पांच हजार किमी का सफर तय कर प्रवासी साइबेरियन पक्षियों का झुंड पहुंचता है। शिव¨लग के आसपास मंडरा कर भोलेनाथ के दरबार में खुद की हाजिरी भी लगाता है। इस सुखद संयोग का अवलोकन करने के लिए इस वर्ष भी हजारों सैलानियों की भीड़ यहां उमड़ रही है।

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ठंड व शीतलहर बढ़ने के साथ ही गंगा के घाटों पर साइबेरियन पक्षियों का कलरव सुनाई पड़ने लगा है। झुंड में रहने वाले इन पक्षियों का एक घाट से दूसरे घाट तक जाना और गंगाजल से अठखेलियां करना सैलानियों को काफी सुखद लग रहा है। ¨वध्याचल से लेकर मीरजापुर तक के गंगा तटों पर इन दिनों साइबेरियन पक्षियों को देखने वालों की भी अच्छी खासी तादात जुट रही है। पर्यटक इस दृश्य को कैमरे, मोबाइल में कैद करते दिख जाएंगे। यहां पहुंचने वाले दर्शनार्थी गंगा की धारा के बीच में बसे भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर अभिभूत हो रहे हैं। इससे यहां के नाविकों को भी कमाई का नया जरिया मिल गया है। नाविक दर्शकों को अपनी नाव में बैठाकर साइबेरियन पक्षियों के ठिकाने तक घुमाते हैं। इससे पर्यटन को बढ़ावा तो मिल ही रहा है, स्थानीय लोगों को रोजगार भी मुहैया हो रहा है। 15 जनवरी तक यहां का पूरा इलाका साइबेरियन पक्षियों व सैलानियों से गुलजार रहने वाला है।

दो सौ प्रजातियों के प्रवासी पक्षी

ठंड व शीतलहर के बीच भोजन की तलाश में यहां तक पहुंचने वाले साइबेरियन पक्षियों की तादात तीन से चार लाख के बीच होती है। वहीं इनकी करीब दो सौ प्रजातियां सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनती हैं। इनमें गैलियार्ड, कांट, ¨पटैल, कोमंटिल, स्पाटविल्डक औन काटनटिल जैसे साइबेरियन पक्षी हैं, जो वर्ष में इसी इसी समय दिखाई देते हैं।

कैमल सफारी बना आकर्षण

सैलानियों की सुविधा के लिए इन दिनों यहां नाव से गंगा पार ले जाने और वहां रेत पर ऊंट की सवारी कराई जा रही है। जो कि बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। वाराणसी से आए सैलानी विनीत ने बताया कि गंगा के किनारे एकांत और खिली धूप के बीच कैमल सफारी करना बेहद रोमांचक अनुभव है। वे हर वर्ष अपने दोस्तों के साथ यहां आते हैं।


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