मानसिक मंद बालिका को 10 वर्ष बाद मिले परिजन
मानसिक मंदित बालिका मेरी को आखिरकार उसके परिजन मिल ही गए। जिला प्रोवेशन विभाग और देवा फाउंडेशन चुनार बालिका गृह मानसिक मंदित द्वारा बीते 10 वर्ष से अथक प्रयास किया जा रहा था। चुनार स्थित बालिका गृह में मेरी को प्रकाशम जिले की वन स्टाप सेंटर तथा महिला हेल्प लाइन के पल्ले साहिन, जी. रत्ना कुमारी, मेरी की मां मंगमा तथा मेरी के जीजा बर्नवास चौधरी को सौंपा गया।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मानसिक मंदित बालिका मेरी को आखिरकार उसके परिजन मिल ही गए। जिला प्रोबेशन विभाग और देवा फाउंडेशन चुनार बालिका गृह मानसिक मंदित द्वारा बीते 10 वर्ष से अथक प्रयास किया जा रहा था। चुनार स्थित बालिका गृह में मेरी को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले की वन स्टाप सेंटर तथा महिला हेल्प लाइन के पल्ले साहिन, जी. रत्ना कुमारी, मेरी की मां मंगमा तथा मेरी के जीजा बर्नवास चौधरी को सौंपा गया।
जनपद में लगभग 10 वर्ष पूर्व आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले की मेरी नामक बालिका मानसिक असंतुलन की अवस्था में भटक कर पहुंची थी, जिसको वाराणसी के महिला शरणाप्रकाशम जिले की वन स्टाप सेंटर तथा महिला हेल्प लाइन के पल्ले साहिन, जी. रत्ना कुमारी, मेरी की मां मंगमा तथा मेरी के जीजा बर्नवास चौधरीलय में रखा गया था। बीते एक वर्ष पूर्व चुनार में देवा फाउंडेशन अवंतिका बालिका बालगृह मानसिक मंदित की स्थापना के बाद वाराणसी से 35 बालिकाओं सहित मेरी को भी भेजा गया। बालिका गृह में मेरी सहित मानसिक मंदित बालिकाओं की काउंसि¨लग तथा बेहतर उपचार किया जा रहा है, जिसके चलते मेरी की मानसिक स्थिति में काफी सुधार हो गया। काउंस¨लग के दौरान मेरी ने अपना पता आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिला बताया। संस्थान के राजेश राय, पल्लवी और दीपिका ने मेरी को परिजनों से मिलाने की इच्छा जिला प्रोवेशन अधिकारी डा. अमरेंद्र पोत्सायन को बताया। उनके निर्देश पर बाल संरक्षण अधिकारी डा. रमेश ने प्रकाशम जिले के अधिकारियों से संपर्क किया, उनके अथक मेहनत के चलते मेरी के परिजनों का पता चल पाया। इसके बाद प्रकाशम जिले की वन स्टाप सेंटर तथा महिला हेल्प लाइन के पल्ले साहिन, जी. रत्ना कुमारी, मेरी की मां मंगमा तथा मेरी के जीजा बर्नवास चौधरी ने जिला प्रोबेशन विभाग में पहुंचे। इसके बाद चुनार में मेरी को उनके सुपुर्द किया गया।