गैस की कीमत बढ़ते ही महिलाओ ने जंगल का लिया सहारा
प्रशांत यादव मीरजापुर देश के कोने-कोने से विध्याचल आकर त्रिकोण करने वाले दर्शनार्थिय
जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर) : घरेलू गैस की कीमत आसमान छूते ही गांव गिरांव की महिलाओं ने अब जंगल का सहारा ले लिया। यह पर्यावरण के लिए शुभ संदेश नहीं है।
ग्रामीण महिलाएं भोर में 3-4 किलोमीटर पैदल की यात्रा करके आसपास के जंगल पहुंचती हैं। जहां हरे पेड़ों को काट कर बड़ा बंडल बना कर दस बजे तक सिर पर रख वापस आ जाते है। फिर दूसरी मीटिग भी यही क्रिया जोरों पर चालू है। यही दशा रही तो देखते-देखते सारा जंगल समाप्त हो जाएगा और पर्यावरण पर इसका बुरा असर भी पड़ेगा। बसंतिया, सिलोचनी, कुसुमी, पुनवसिया, सोनकली, सीता, नचनी आदि ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि हम लोगों के नाम पर सौभाग्य योजना से गैस कागज पर मिला है। हकीकत में कुछ नहीं पाए है। इससे जंगल की लकड़ियों पर ही पूरा परिवार आश्रित है। दूसरी तरफ जगनी, सितबिया, केवली, अनारकली आदि महिलाओं ने बताया कि गैस की कीमत आसमान छू रहा है। इससे अब जंगल का सहारा सस्ता पड़ रहा है। जंगल ही सहारा है। ग्रामीण महिलाएं भोर में 3-4 किलोमीटर पैदल की यात्रा करके आसपास के जंगल पहुंचती हैं। जहां हरे पेड़ों को काट कर बड़ा बंडल बना कर दस बजे तक सिर पर रख वापस आ जाते है। फिर दूसरी मीटिग भी यही क्रिया जोरों पर चालू है। यही दशा रही तो देखते-देखते सारा जंगल समाप्त हो जाएगा और पर्यावरण पर इसका बुरा असर भी पड़ेगा। बसंतिया, सिलोचनी, कुसुमी, पुनवसिया, सोनकली, सीता, नचनी आदि ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि हम लोगों के नाम पर सौभाग्य योजना से गैस कागज पर मिला है। हकीकत में कुछ नहीं पाए है। इससे जंगल की लकड़ियों पर ही पूरा परिवार आश्रित है। दूसरी तरफ जगनी, सितबिया, केवली, अनारकली आदि महिलाओं ने बताया कि गैस की कीमत आसमान छू रहा है। इससे अब जंगल का सहारा सस्ता पड़ रहा है। जंगल ही सहारा है।