बंधुआ मजदूरी की रोकथाम को निष्क्रिय निगरानी समितियां
क्रशर प्लांटों व ईंट भट्ठों पर बंधुआ व बाल मजदूरी कराया जाता है। इन पर रोकथाम के लिए बनी जनपद व परगना स्तरीय बंधुआ श्रम निगरानी समितियां निष्क्रिय साबित हो रही हैं। श्रम विभाग द्वारा बीते दिनों छापेमारी कर कार्रवाई की गई है लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : क्रशर प्लांटों व ईंट भट्ठों पर बंधुआ व बाल मजदूरी कराया जाता है। इन पर रोकथाम के लिए बनी जनपद व परगना स्तरीय बंधुआ श्रम निगरानी समितियां निष्क्रिय साबित हो रही हैं। श्रम विभाग द्वारा बीते दिनों छापेमारी कर कार्रवाई की गई है लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है।
जनपद के क्रशर प्लांट और ईंट भट्ठों पर प्राय: बंधुआ मजदूरी कराने का मामला प्रकाश में आता है। ठेकेदारों द्वारा क्रशर प्लांट व ईंट भट्ठों पर श्रमिकों की आपूर्ति की जाती है, जहां पर इनसे कम पैसे पर अधिक काम कराया जाता है। जनपद में व्याप्त बंधुआ मजदूरी की रोकथाम के लिए श्रम विभाग द्वारा कोई ठोस व कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है। जबकि बंधुआ मजदूरी अधिनियम 1976 के इनके आरोपितों पर कार्रवाई का भी प्राविधान है। जनपद के चुनार, मड़िहान व सदर क्षेत्र में बंधुआ मजदूरी कराने का मामला प्रकाश में आ चुका है। सदर तहसील क्षेत्र के पहाड़ी ब्लाक के दुबेपुर गांव में एक व्यक्ति द्वारा महज दो हजार रुपये के लिए परिवार के लोगों को बंधक बनाकर काम कराया जा रहा था। हालांकि श्रम विभाग को मामले की जानकारी होने पर तत्काल रेस्क्यू आपरेशन चलाकर बंधकों को मुक्त कराया गया था, लेकिन अभी भी जनपद में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की दरकार है। बंधक बनाए जाने के मामले में सेवायोजक पर दोष सिद्ध हो जाने पर पुरुष बंधक को एक लाख और महिला या बच्चों को दो लाख का पुनर्वास पैकेज भी दिया जाता है।
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श्रम विभाग द्वारा अभियान चलाकर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। यदि कहीं पर बंधक बनाने की जानकारी मिले तो सूचना दें तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
- आरके पाठक, सहायक श्रमायुक्त।
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