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बजट में पुल निर्माण के लिए 200 करोड़ मिले, जनपद के लिए एक ढेला भी नहीं

प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में जनपद के लिए कुछ नहीं है। वाहन मालिकों का कहना है कि सरकार के पुल निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपये दिए हैं लेकिन जिले के शास्त्री पुल की मरम्मत के लिए एक रुपया भी नहीं दिया है। जो ट्रांसपोर्ट जगत के लिए बहुत ही

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 08:57 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 11:39 PM (IST)
बजट में पुल निर्माण के लिए 200 करोड़ मिले, जनपद के लिए एक ढेला भी नहीं
बजट में पुल निर्माण के लिए 200 करोड़ मिले, जनपद के लिए एक ढेला भी नहीं

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में जनपद के लिए कुछ नहीं है। वाहन मालिकों का कहना है कि सरकार के पुल निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपये दिए हैं लेकिन जिले के शास्त्री पुल की मरम्मत के लिए एक रुपया भी नहीं दिया है। जो ट्रांसपोर्ट जगत के लिए बहुत ही निराशाजनक बात है। उनका कहना है कि किसी देश या प्रदेश के विकास के लिए मजबूत परिवहन व्यवस्था जरूरी होती है।

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इसी पर पूरे देश का व्यापार टीका होता है जिससे पूरी दुनिया चलती रहती है। एक गलत नीति के कारण परिवहन व्यवस्था रूक जाए तो व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है अर्थात मजबूत व बेहतर ट्रांसपोर्ट सेवा किसी भी व्यापार का आधार होता है। बजट से ट्रांसपोर्ट व्यापारी वर्ग खासा आशान्वित था कि बजट में उनके लिए कुछ न कुछ होगा। लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते वे काफी परेशान है। व्यापारियों का कहना है कि जिले का पूरा व्यापार व विकास पत्थर, बालू खनन, पीतल, कालीन व ट्रांसपोर्ट पर टीका है। लेकिन सरकार द्वारा प्रतिदिन नए नए नियम लागू करने एवं शास्त्री पुल की मरम्मत नहीं कराने के चलते सारे उद्योग ठप हो चुके हैं। प्रदेश सरकार से विकास की आस लिए लोगों ने अपने करोड़ रुपये लगाकर खनन व परिवहन के समुद्र में कूंदे तो लेकिन सरकार द्वारा इन्हें बढ़ावा देने का लाइफ जैकेट नहीं दिए जाने के चलते ट्रांसपोर्ट के ये व्यापारी अब डूबने के कागार पर पहुंच गए है। चुनौतियां- आज के समय में ट्रांसपोर्ट जगत के लोगों को व्यापार करना सबसे बड़ी चुनौती है। कंपनी से गाड़ी निकलते ही मुसीबतों के पैदा होने का दौर शुरू हो जाता है। न अच्छी सड़कें हैं और न ही पुल है। वाहनों के संचालन के लिए बेहतर सुविधाएं भी नहीं मिल रही है। हर कदम पर अधिकारियों का बंधन है। सरकार के गलत नीतियों के चलते वाहन मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जितनी कमाई होती है उतनी कानूनी दांव-पेच को हल कराने में खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में ट्रांसपोर्ट का यह धंधा धीरे धीरे बंद होने के कागार पर पहुंच गया है। परि²श्य : मौजूदा हालत बहुत खराब

ट्रांसपोर्ट का मौजूदा हालत बहुत की खराब है। डीजल पेट्रोल महंगा होने के कारण वाहन का संचालन करना मुश्किल होता जा रहा है। इसके अलावा आए दिन बढ़ रहे टैक्स, टोल टैक्स समेत अन्य नियम कानून के चलते लोग इस अंधे से भाग रहे हैं। मीरजापुर में नौ हजार बड़े वाहनों में से तीन हजार वाहन मालिक मंदी के चलते अपने वाहन को सरेंडर करने की स्थिति में पहुंच गए है। अपेक्षाएं : वाहन मालिकों को सरकार से काफी अपेक्षाए है। जनपद के वाहन मालिक सरकार से चाहते हैं कि शास्त्री सेतु की जल्द से जल्द मरम्मत कराकर बड़े वाहनों के आवागमन को शुरू कराया जाए। इसके अलावा गंगा नदी पर बनने वाले फोरलेन नए पुल के निर्माण के लिए जल्द बजट जारी कर निर्माण कार्य शुरू करा दिए जाए। इसके अलावा खनन और मोटर एक्ट नियम भी सरल करने की मांग की। जिससे वाहन मालिकों का भला हो।

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संभावनाएं - जनपद के वाहन मालिकों को इस साल चुनार और भटौली पुल से बड़े वाहनों के आने जाने के लिए बाईपास बनाए जाने की संभावना है। जिससे इन रास्तों के माध्यम से बड़े वाहन आसानी से पुल से गुजर सके और उनको नुकसान नहीं उठाना पड़े। इसके अलावा जिले में जितने भी छोटे पुल है उनको बड़ा किया जाए। जिससे छोटे वाहन साथ साथ बड़े भी वहां से गुजर सके।

----------------- ट्रांसपोर्ट व्यवसायी बोले-

1- जिले के नौ हजार वाहन समेत कुल 20 हजार वाहन यहां से गुजरते हैं। जिससे सरकार को हर महीने 50 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है। लेकिन सरकार व अधिकारियों की तानाशाही के चलते शास्त्री सेतु से बड़े वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दिया है जबकि भटौली तथा चुनार पुल से वाहनों को जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। जिससे जिले का ट्रांसपोर्ट धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। सरकार तत्काल शास्त्री पुल की मरम्मत करा दे और बाईपास बनावाकर भटौली व चुनार से बड़े वाहनों को आने जाने की अनुमति प्रदान करे। जिससे वाहन मालिकों को नुकसान नहीं उठाना पड़े।

- राजू चौबे अध्यक्ष विध्य ट्रकर एसोसिएशन ----------

2- शास्त्री सेतु से बड़े वाहनों के आवागमन पर रोक के बाद चालकों को 200 किलोमीटर का चक्कर लगाकर रामनगर के रास्ते वाराणसी या बिहार वाहन लेकर पहुंच जा रहे हैं। इससे उनको हर महीने हजारों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में वे वाहनों के किश्त जमा नहीं कर पा रहे है। जिससे जनपद के तीन हजार वाहन मालिक अपने वाहन को सेरेंडर करने के लिए बाध्य है।

- राहुल पांडेय ट्रक मालिक

------------------ -जनपद व सोनभद्र में बालू व पत्थर खनन पर रोक लगाए जाने के चतले प्रति महीने सरकार को 50 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्योंकि व्यापार बंद होने से जनपद की नौ हजार गाड़ियों में सात हजार गाड़िया वर्तमान समय में खड़ी कर दी गई है। सरकार को इस नुकसान से बचना है तो बालू व पत्थर खनन कराकर परिवहन को चालू कराना होगा।

-- धर्मेश दूबे ट्रक मालिक ------------------

सरकार द्वारा मोटर एक्ट में नए नए नियम लागू कर वाहन धंधे को चौपट कर दिया गया है। जिससे इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ रहा है। यहीं कारण है खाद्य पदार्थ से लेकर हर वस्तु महंगी होती जा रही है। मंहगाई को कम करना है परिवहन व्यवस्था को मजबूत करना होगा।

- आशीष उपाध्याय ट्रक मालिक

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