लॉकडाउन के समय रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखना चुनौती
कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से बचने के लिए जारी लॉकडाउन के दौरान जब हर व्यक्ति घर पर ही कैद होकर रह गया तो महिलाओें के सामने रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। शहरी क्षेत्र की कामकाजी महिलाओं के सामने तो यह स्थिति नई मुश्किलें खड़ी करने वाली है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में भी महिलाओं को अपने लिए समय निकाल पाना कठिन हो गया है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से बचने के लिए जारी लॉकडाउन के दौरान जब हर व्यक्ति घर पर ही कैद होकर रह गया तो महिलाओें के सामने रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। शहरी क्षेत्र की कामकाजी महिलाओं के सामने तो यह स्थिति नई मुश्किलें खड़ी करने वाली है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में भी महिलाओं को अपने लिए समय निकाल पाना कठिन हो गया है।
इन हालातों के बारे में बात करते हुए महिला हेल्पलाइन की मनोविश्लेषक निधि मधेशिया कहती हैं कि लॉकडाउन ने लोगों को जरूरत और इच्छाओं के बीच फर्क करना सिखा दिया है। महिलाएं भी अब अपनी जरूरतों को प्राथमिकता देने के बारे में सोच रही है। लॉकडाउन ने लोगों को अहसास कराया है कि कोई भी व्यक्ति कम से कम जरूरतों के साथ भी गुजारा कर सकता है। उन्होंने बताया कि जैसा कि इस समय परिवार के सभी सदस्य घर पर हैं तो ऐसे में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। सबकी पसंद का ख्याल रखना, सबकी जरुरतों के बीच आपसी तालमेल बनाए रखना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। शिक्षिका पूनम बताती हैं कि बच्चों के साथ बड़ों को भी संभालना और खुद के लिए भी समय निकाल पाना कठिन हो गया है लेकिन इससे कई सीख भी मिल रही है।
बोलीं महिलाएं
इन दिनों को लोग जीवन भर याद रखेंगे और इसने परिवार को एकसाथ करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- किरन मिश्रा
-------------
लॉकडाउन में त्योहार नहीं मनाए गए लेकिन इसका एक-एक दिन किसी त्योहार से कम नहीं है। क्योंकि सभी साथ हैं।
- साधना सोनकर
--------------
लॉकडाउन ने कई छिपी प्रतिभाओें को सामने आने का मौका दिया है। कई काम नए हो रहे हैं तो यह अच्छा है।
- सविता देवी
---------------
इस समय खुद को बचाते हुए इस महामारी को भगाने का काम करना है। परिवार की एकजुटता आवश्यक है।
- चैना देवी