ड्रमंडगंज घाटी के मोड़ बने मौत के कारण
ड्रमंडगंज घाटी में स्थित कई खतरनाक मोड़ किलर प्वाइंट के रूप में कुख्यात हो चुके है। ड्रमंडगंज घाटी स्थित जालीम मोड़ छोटका मोड़ बड़का मोड़ पर आए दिन बड़ी दुर्घटनाएं घटित होती रहती हैं।
जागरण संवाददाता, ड्रमंडगंज (मीरजापुर) : ड्रमंडगंज घाटी में स्थित कई खतरनाक मोड़ किलर प्वाइंट के रूप में कुख्यात हो चुके है। ड्रमंडगंज घाटी स्थित जालीम मोड़, छोटका मोड़, बड़का मोड़ पर आए दिन बड़ी दुर्घटनाएं घटित होती रहती हैं। इसलिए पूरी घाटी को ही किलर प्वाइंट के रूप में जाना जाता है। घाटी में प्राय: ट्रक अनियंत्रित होकर सैकड़ों फीट नीचे खाई में गिर जाते हैं एवं तमाम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर सात को फोरलेन में परिवर्तित करने का कार्य तेजी के साथ चल रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा अगर ड्रमंडगंज घाटी के इन मोड़ों पर ध्यान न दिया गया तो भविष्य में भी दुर्घटनाएं घटित होती रहेगी। लोगों ने दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए घाटी के इन मोड़ों को फोरलेन का कार्य करा रही कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा निजात दिलाने की मांग उठाया है।
ड्रमंडगंज में घाटी क्षेत्र लगभग दस किलोमीटर लंबा है। ऐसे में इन मोड़ से निजात पाने के लिए लोगों में इस बात की चर्चा जोरों पर चल रही है कि क्या फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ड्रमंडगंज घाटी के इन दुर्घटना वाले मोड़ों से निजात मिलेगी या स्थिति पहले जैसे ही रहेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग सात इतना व्यस्ततम मार्ग है कि इस पर प्रतिदिन हजारों माल वाहनों के साथ पर्यटकों के साथ अन्य गाड़ियों का आना-जाना रहता है। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र ड्रमंडगंज घाटी में किसी भी मोड़ पर टर्निंग संकेतक नहीं लगाया गया है। जिससे चालक घाटी के मोड़ के बारे में आकलन नहीं कर पाते है और अनियंत्रित होकर घाटी के गहरे खाईं में जाकर अपनी जान तक गंवा रहे हैं लेकिन विभाग द्वारा इस पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
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