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हाइटेक गुरु इशारों व कविताओं से सिखा रहे सफलता का गुणा-गणित

दो एक्कम दो दो दूनी चार दो तिया छह दो चौका आठ..प्राथमिक विद्यालयों के पास से गुजरते वक्त यह शोर बता देता है कि बच्चे पहाड़ा रट रहे हैं। पढ़ाई का यह परंपरागत तरीका अब पुराना हो चुका है। मड़िहान तहसील के राजगढ़वा प्राथमिक स्कूल के शिक्षक ने एक अभिनव प्रयोग किया और पढ़ाई की ऐसी तकनीक इजाद कर दी जिससे बच्चे इशारों-इशारों में अंग्रेजी और गणित के सवालों को चुटकी बजाकर हल कर देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 07:55 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 12:19 AM (IST)
हाइटेक गुरु इशारों व कविताओं से सिखा रहे सफलता का गुणा-गणित
हाइटेक गुरु इशारों व कविताओं से सिखा रहे सफलता का गुणा-गणित

मनोज द्विवेदी, मीरजापुर :

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दो एक्कम दो, दो दूनी चार, दो तिया छह, दो चौका आठ..प्राथमिक विद्यालयों के पास से गुजरते वक्त यह शोर बता देता है कि बच्चे पहाड़ा रट रहे हैं। पढ़ाई का यह परंपरागत तरीका अब पुराना हो चुका है। मड़िहान तहसील के राजगढ़वा प्राथमिक स्कूल के शिक्षक ने एक अभिनव प्रयोग किया और पढ़ाई की ऐसी तकनीक इजाद कर दी जिससे बच्चे इशारों-इशारों में अंग्रेजी और गणित के सवालों को चुटकी बजाकर हल कर देते हैं।

पढ़ाने की तो सदियों से कई विधियां चली आ रही हैं लेकिन इन सब विधियों के बीच पठन-पाठन अब हाईटेक भी होता जा रहा है। नित नये प्रयोगों के बीच मड़िहान क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय राजगढ़वा के शिक्षक ने नई विधि, क्रिया-कलापों से साहित्य का ज्ञान भी इस तरह करा रहे हैं कि छात्रों को कम उम्र में ही साहित्य व संस्कृति का गहरा बोध हो रहा है। विद्यालय के छात्रों को अंग्रेजी सिखाने के लिए शिकक्ष द्वारा स्वरा इंग्लिश एक्टिविटी नामक पुस्तक की रचना भी की गई। वहीं स्वरा बाल कविताएं किताब

के माध्यम से आम बोलचाल की भाषा को ही कविताओं में ढाला गया है जिसे बच्चे सहज ही सीख लेते हैं। शिक्षक के इस अभिनव प्रयोग से छात्रों के मन मस्तिष्क पर अलग छाप छूट रही है। विद्यालय के शिक्षक रामकुमार राठौर द्वारा छात्रों को पढ़ाने के लिए इन्हीं किताबों की मदद ली जाती है। गणित के जोड़, घटाव, गुणा, भाग सिखाने के लिए शिक्षक रामकुमार इन कविताओं के अलावा विभिन्न प्रकार के शारीरिक क्रिया-कलापों का सहारा लेते हैं जिससे छात्रों को गणित जैसे उलझाने वाले विषय को समझने में सहूलियत होती है। सांकेतिक विधि ने डाली पढ़ाई में जान

शिक्षक रामकुमार बताते हैं कि प्राइमरी स्कूलों की परंपरागत पढ़ाई के साथ ही हमेशा कुछ नया करने की दरकार बनी रहती है। इसीलिए हमने कुछ नया करने का विचार अपनाया और बच्चों में यह विधि लोकप्रिय हो गई। जैसे अंग्रेजी के लिए सर्वप्रथम किसी भी वाक्य को पढ़ाने के लिए पहले कोई एक वस्तु लेकर इशारे (सांकेतिक विधि) से गतिविधियों द्वारा उनके मन-मस्तिष्क में उतारने

का प्रयास किया जाता है जिससे छात्र जल्दी सीखते हैं। छात्रों की हो रही सौ फीसद उपस्थिति

आमतौर पर छात्रों के मन में पढ़ाई के प्रति उबन होती है और माहौल बेहतर नहीं होता तो वे विद्यालय जाना बंद कर देते हैं। इस स्कूल की नई पद्धति से छात्रों में जिज्ञासा बढ़ी है और वर्तमान में शत- प्रतिशत छात्रों की उपस्थिति देखने को मिलती है। माहौल ऐसा है कि चाहे वह अंग्रेजी की कविता हो अथवा हिदी के पाठ, गणित के सवाल हो, सभी के लिए शिक्षक द्वारा सिर्फ क्रिया-कलापों और आम व्यवहार की भाषा से यह सब कंठस्थ करा दिया जाता है।


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