गंगा का जलस्तर गिरा, कटान का खतरा बढ़ा
गंगा का जलस्तर चार सेंटीमीटर प्रतिघंटे की दर से कम हो रहा है। लेकिन इससे कटान का खतरा बढ़ गया है। जिला प्रशासन की टीम ने शु़क्रवार को कटान वाली जगहों का निरीक्षण किया व अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। वहीं बाढ़ का पानी कम होने से तटवर्ती इलाकों में सड़कों व खेतों में कीचड़ बढ़ जाने से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है और लोगों को आवागमन में भी असुविधा हो रही है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : गंगा का जलस्तर चार सेंटीमीटर प्रतिघंटे की दर से कम हो रहा है, लेकिन इससे कटान का खतरा बढ़ गया है। जिला प्रशासन की टीम ने शु़क्रवार को कटान वाली जगहों का निरीक्षण किया व अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। वहीं बाढ़ का पानी कम होने से तटवर्ती इलाकों में सड़कों व खेतों में कीचड़ बढ़ जाने से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है और लोगों को आवागमन में भी असुविधा हो रही है।
बाढ़ नियंत्रण अधिकारी अशफाक अहमद खां ने बताया कि शुक्रवार को शाम चार बजे गंगा का जलस्तर 74.05 मीटर रिकार्ड किया गया और पानी तेजी से कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि जिले की सभी बाढ़ चौकियों से रिपोर्ट ली गई है और सभी जगहों पर पानी घटने लगा है। वहीं नगर क्षेत्र के गंगा घाटों के पास कटान का खतरा बढ़ गया है। इसके बाबत शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम ने इन क्षेत्रों का दौरा किया। अधिकारियों ने बताया कि जब पानी कम होने लगता है तो कटान ज्यादा होती है इसलिए ऐसी जगहों के लोगों को सावधान किया गया है किसी भी समस्या के लिए बाढ़ नियंत्रण कक्ष को सूचित करें। हालांकि अभी भी प्रशासन द्वारा हाई अलर्ट जारी है और गंगा में नहाने, मछली पकड़ने और नौका संचालन पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है ताकि कोई अप्रत्याशित घटना न होने पाए। बीमारियों का भी खतरा
जिन गांवों तक बाढ़ का पानी पहुंचा वहां के तालाब व छोटे-बड़े गड्ढे भर गए हैं जिसमें मच्छर पैदा हो रहे हैं। तटवर्ती क्षेत्र के निवासियों ने बताया कि अभी इन जगहों पर स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है। ग्रामीणों ने बताया कि रास्ता भी चलने लायक नहीं बचा है और हर जगह कीचड़ की कीचड़ फैला हुआ है। प्रशासन को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।