मिर्जापुर, जागरण संवाददाता: अगर आप वाहन, चाय, चिप्स, पापड़, नमकीन, मोबाइल फोन, कपड़े आदि की फ्रेंचाइजी या एजेंसी लेने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाएं। पहले उसकी पूरी तरह से छानबीन कर लें। बिना सोचे-समझे ऑनलाइन आवेदन न करें अन्यथा आप ठगों के शिकार हो सकते हैं। साइबर ठगों का मकड़जाल अब देशभर में फैल चुका है। अब लोगों को ठगने का नया तरीका अपनाया है। इसके लिए वाहन से लेकर विभिन्न सामानों की फ्रेंचाइजी देने को ऑनलाइन आवेदन करने के लिए फर्जी वेबसाइट बना रखी है।

झारखंड, बिहार, बंगाल, राजस्थान व दिल्ली के मास्टरमाइंड युवक कुछ पल में लाखों रुपये कमाने के लिए साइबर ठगी के पेशे को अपनाए हुए हैं। इन लोगों ने अपने कुछ साथियों के साथ एक बड़ा गैंग तैयार किया है जो अधिकारी, पुलिस, डॉक्टर, व्यापारी आदि को कंपनी का मालिक बनाकर अपना निशाना बना रहे हैं। उनके इस जाल में अनपढ़ ही नहीं, पढ़े लिखे अधिकारी व व्यापारी सहित अन्य लोग भी फंस रहे हैं।

फर्जी तरीके से बनाई 30 वेबसाइट

झारखंड, बिहार व बंगाल के करीब 30 युवकों ने मिलकर 25 से अधिक फर्जी वेबसाइट बना रखी है। इसमें 30 प्रतिशत छूट पर लोगों को बड़ी-बड़ी कंपनियों के एजेंसी देने का दावा कर रहे हैं। उनके इस मलाईदार जाल में लोग भी फंसकर अपने लाखों रुपये गवां रहे हैं। इसकी भनक उनको तब लगती है जब उनके खाते खाली हो जाते हैं।

पांच वर्षों में 100 करोड़ की चपत, विंध्याचल मंडल में 93 मुकदमे

साइबर ठग बड़े-बड़े लोगों को अपनी जाल में फंसाकर इन लोगों से 100 करोड़ से अधिक की धनराशि अब तक अपने खाते में डलवा चुके हैं। विंध्याचल मंडल में तीन वर्षों के अंदर साइबर ठगी के कुल 93 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जबकि पूर्वांचल में 150 से अधिक मामले प्रकाश में आ चुके हैं। इसके अलावा झारखंड, बिहार, यूपी, पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश आदि स्थानों पर देखा जाए तो 300 से अधिक मामले अब तक दर्ज किए जा चुके हैं।

केस नंबर एक

नगर निवासी तन्मय जैन ने एक स्कूटी की फ्रेंचाइजी एजेंसी लेने के लिए एक वेबसाइट पर दिसंबर 2022 में ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसको बिहार के नेवादा थाना वर्सलीगंज के सूरज और उसके साथियों ने फर्जी तरीके से बनाया था। साइबर ठगों ने पहले उनको एजेंसी देने के बहाने अपनी जाल में फंसा लिया, फिर धीरे-धीरे कई बार में उनसे 48 लाख रुपये की ठगी कर ली।

केस नंबर दो

चुनार निवासी सेवानिवृत्त दारोगा पूरन राम को झारखंड के जामताड़ा के साइबर ठगों ने अगस्त 2022 में कोषागार अधिकारी बनकर पहले उनको फोन किया। उनका पेंशन नवीनीकरण करने के लिए उनका आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक आदि की फोटो कॉपी अपने वाट्सएप पर मंगवाया। इसके बाद उनके मोबाइल फोन पर एक मैसेज भेजकर उनसे ओटीपी नंबर पूछ लिया। जैसे ही ओटीपी नंबर पूछा वैसे उनके खाते से चार बार में 32 लाख रुपये निकाल लिए।

ठगी का शिकार होने पर क्या करें

कोई भी व्यक्ति ठगी का शिकार होता है तो सबसे पहले खाते से रुपये निकलने पर तत्काल पांच मिनट के अंदर 1930 पर काल करें और अपनी शिकायत पुलिस को दर्ज कराएं। ऐसा करने से उनके निकले हुए रुपये को पुलिस होल्ड करा सकती है। फिर संबंधित थाने में जाकर तहरीर दें। पांच लाख से अधिक मामला है तो मंडल के अधिकारी के यहां शिकायत करें।

इन्होंने कहा…

साइबर परिक्षेत्रीय थाना के निरीक्षक श्याम बहादुर यादव ने बताया कि साइबर ठगों ने वाहन सहित अन्य सामान की फ्रेंचाइजी देने के लिए लगभग 30 फर्जी वेबसाइट बना रखी है। ऐसे में पहले जांच कर लें फिर रुपये का ऑनलाइन भुगतान करें अन्यथा ठगी के शिकार हो सकते हैं।

Edited By: Shivam Yadav